बारिश व तेज धूप में बिना छत के खंडहर आशियाने में रहती है ‘गुलाबो’

punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2020 - 11:24 PM (IST)

हमीरपुर (ब्यूरो): 30 साल का अर्सा कम नहीं होता है। इतने सालों में जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है लेकिन गुलाबो की जिंदगी मानो ठहर गई है। न किसी से बोलती है और न ही किसी से अपना दुख बांटती है लेकिन गुमसुम-सी रहने वाली गुलाबो कभी-कभार ख्यालों से बाहर निकलकर इस कद्र गाली-गलौच करने लग जाती है, जैसे पता ही नहीं चलता है कि कितना दर्द और पीड़ा अपने भीतर समेटे हुए है।

न घर का पता और न ही असली नाम

जिला मुख्यालय हमीरपुर से नादौन और नैशनल हाईवे किनारे करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां झनियारी देवी से प्रसिद्ध झनियारी कस्बे में यह महिला करीब 30 साल पहले आई थी और यहीं की होकर रह गई। किसी को आज तक इस महिला के न असली नाम का पता है और न ही कहां से आई है, इसकी जानकारी है जिस पर कस्बे के लोग उसे गुलाबो के नाम से ही संबोधित करते हैं। कस्बे में झाड़ियाें के बीच बिना छत के खंडहर में तबदील दीवारों के एक कमरे को वर्षों से इस महिला ने अपना आशियाना बना रखा है, जिसमें बारिश, आंधी व कड़ी धूप भी उसे वहां से टस से मस नहीं होने देते।

प्रवीण देते हैं तीनों पहर का खाना

स्थानीय निवासी एवं पेशे से शिक्षक प्रवीण कुमार उसे 3 समय खाना जरूर देते हैं वर्ना अपने ही ख्यालों में रहने वाली महिला किसी के आगे खाने के लिए हाथ भी नहीं फैलाती। हालांकि उसकी परिस्थितियों को देखते हुए क्षेत्र के लोगों ने उसे बिस्तर, कंबल व कपड़े बगैरह दे रखे हैं तथा पिछले दिनों तंबू भी लगाया था लेकिन उस तंबू को ही कोई उड़ा ले गया।

प्रशासन मदद को बढ़ाए हाथ

सासन पंचायत के उपप्रधान अरुण कुमार की मानें तो इस महिला को यहां बने जंजघर में रहने के लिए कई बार कहा लेकिन वह वहां रहने नहीं आती है। बीच-बीच में 1-2 बार वहां रहने भी आई लेकिन फिर उसी खंडहर में चली जाती है। उसकी विवशता को देखते हुए सरकार व प्रशासन से आग्रह है कि पहले उसका अस्पताल में उपचार करवाया जाए तथा उसके बाद किसी महिला आश्रम में उसे पहुंचाया जाए ताकि उसकी सही ढंग से देखभाल हो सके। अगर प्रशासन महिला की मदद को आगे आता है तो उनकी ओर से पूरा सहयोग किया जाएगा।


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Vijay

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