निपाह वायरस की चिंता क्यों न करे हिमाचल ?

Wednesday, May 23, 2018 - 10:55 AM (IST)

शिमला: केरल में फैला जानलेवा निपाह वायरस हिमाचल के लिए चिंता पैदा कर रहा है। हालांकि कोझिकोड और कुल्लू-मनाली या शिमला के बीच चार हज़ार मील का फासला है और वायरस का दायरा इतना बड़ा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद हिमाचल का सहमना इसलिए तर्कसंगत है क्योंकि गर्मियों में पहाड़ पर आने वाले अधिकांश पर्यटक मैदानी इलाकों से ही आते हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर साल हिमाचल पहुंचने वाले 2 करोड़ पर्यटकों में से 20 लाख की हिस्सेदारी दक्षिण भारतीयों की है। इनमें से कितने केरल से आते हैं यह एक यक्ष प्रश्न हो सकता है, लेकिन किसी के साथ भी यह जानलेवा वायरस हिमाचल तक पहुंच सकता है।


यही वजह है कि हिमाचल सरकार और स्वास्थ्य विभाग सजग हो गए हैं। हिमाचल का प्रमुख उद्योग पर्यटन ही है और हर साल का पर्यटन कारोबार छह हज़ार करोड़ का है। ऐसे में अगर मामला जल्द नहीं संभला तो इसका प्रतिकूल असर प्रदेश के पर्यटन पर भी संभावित है। दरअसल हिमाचल का निपाह को लेकर चिंतित होना लाज़मी भी है। अतीत गवाह है कि जानलेवा वायरस पर्यटकों के जरिए यहां अन्य जगहों की अपेक्षा तेजी से पहुंचे हैं। 2010 में इसी तरह स्वाइन फ़्लू भी दक्षिण में शुरू होने के बाद सीधे हिमाचल पहुंचा था और यह सब यहां आने वाले पर्यटकों के कारण हुआ था। ऐसे में भरे पर्यटन सीजन के दौरान निपाह वायरस ने हिमाचल की टेंशन बढ़ा दी है। 


अभिभावकों को बच्चों की चिंता 
हिमाचल से करीब 5 हजार छात्र दक्षिण भारत के विभिन्न संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। निपाह के फैलाव और  इससे हुई मौतों ने उनके अभिभावकों की भी चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। चूंकि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने केरल और संवेदनशील इलाकों के लोगों को कहीं मूव नहीं करने की एडवायजरी जारी की है लिहाजा अभिभावक बच्चों को घर भी नहीं बुला सकते।  


क्या है यह वायरस ?
दरअसल निपाह वायरस को लेकर पहली मर्तबा रिपोर्टिंग 1998 में हुई थी। मलेशिया के निपाह जनपद में कुछ लोगों में ऐसा संक्रमण पाया गया जो संभवतया चमगादड़ों से फैला था। इसलिए इसे निपाह नाम दिया गया। एक अवधारणा यह भी है कि यह सूअरों से भी फैलता है। एक अन्य अवधारणा के मुताबिक खजूर भी इसके लिहाज़ से संवेदनशील माना जाता है। वायरस एक बार जोर पकड़ ले तो इंसान से इंसान में भी फैल जाता है। 
 

Ekta