जब कुल्लू की शांत वादियों से चलती रही भारत सरकार

Monday, Feb 26, 2018 - 01:28 AM (IST)

नग्गर: कुल्लू-मनाली की शांत वादियां पर्यटन के लिए आज से नहीं बल्कि सदियों व दशकों से देश-दुनिया में विख्यात हैं। इन शांत वादियों से भारत सरकार भी चलती रही। देश के प्रधानमंत्री इन्हीं शांत वादियों में बैठकर देश के फैसले लेते रहे हैं। आजादी से पूर्व भी इन्हीं वादियों में बैठकर पंडित नेहरू जैसे लोगों ने इस बात को लेकर मंथन किया कि कैसे देश को गुलामी की बेडिय़ों से आजाद करवाया जाए। दरअसल कुल्लू के नग्गर में महान चितेरे प्रो. निकोलस रौरिक की कर्मस्थली रही है। निकोलस रौरिक और पंडित नेहरू की गहरी मित्रता के चलते ही नेहरू जी नग्गर आते रहे हैं। नेहरू वर्ष 1942 में भी नग्गर आए और एक सप्ताह से अधिक समय तक नग्गर में रुके। इस दौरान इंदिरा गांधी भी नेहरू जी के साथ नग्गर पहुंचीं। इसके बाद नेहरू 1958 में देश के प्रधानमंत्री रहते हुए नग्गर आए थे। इस दौरान वे कई दिन यहां रुके और भारत सरकार नग्गर से ही चलती रही। मनाली की वादियों में भी नेहरू ने कई बार चहलकदमी की है।

ठंडे पानी के एक चश्मे का नाम पड़ा नेहरू कुंड
 मनाली के समीप ठंडे पानी के एक चश्मे का नाम नेहरू जी की चहलकदमी के बाद ही नेहरू कुंड पड़ा। पंडित नेहरू से जुड़ी कई यादें आज भी नग्गर स्थित रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट संजोए हुए है। नेहरू जी के उन दिनों के चित्र और अन्य कई चीजें नग्गर में आज भी मौजूद हैं। रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट में निकोलस रौरिक की वह कार आज भी देखी जा सकती है जिसमें पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी घूमा करते थे। इस कार को भी आर्ट गैलरी में आने वाले सैलानियों को प्रदॢशत करने के लिए रखा गया है। 

रूस से भारत के मधुर संबंध
नग्गर स्थित रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट को रूस के साथ भारत की गहरी मित्रता के पीछे एक बेहतरीन सेतु माना जाता है। आज भी खास मौकों पर रूस के उच्च पदस्थ राजनीतिज्ञ और अधिकारी नग्गर आते हैं। रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट के चेयरमैन हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री होते हैं और निदेशक कुल्लू के जिलाधीश रहते हैं। ट्रस्ट में रशियन और भारतीय क्यूरेटर मौजूद रहते हैं। रूस के साथ भारत के मधुर संबंधों में ट्रस्ट की मौजूदगी एक बेहतरीन जोड़ के रूप में कार्य कर रही है। हिंदुस्तान और दुनिया के अन्य देशों की हस्तियां भी मनाली आने के दौरान नग्गर स्थित रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट का दौरा करना नहीं भूलतीं। 

अटल ने भी मनाली से चलाई सरकार
पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए मनाली के समीप प्रीणी गांव से देश की सरकार चलाई है। अटल बिहारी वाजपेयी का प्रीणी में भी घर है। वे अक्सर प्रीणी आते रहे हैं। प्रधानमंत्री रहते हुए भी जब कई दिन अटल बिहारी वाजपेयी प्रीणी में रहे तो देश की सरकार भी प्रीणी से ही चलती रही। उनके प्रीणी प्रवास के दौरान देश के कई केंद्रीय मंत्री व विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी मनाली में ही डेरा डालते रहे हैं। 

शांत जगह स्थित है ट्रस्ट
नग्गर गांव से पीछे शांत क्षेत्र में रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट मौजूद है। यहां आर्ट गैलरी के साथ एग्जीविशन हाल भी है। इस जगह अपनी चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन करना हर चित्रकार के लिए गौरवपूर्ण रहता है। महान चितेरे प्रो. निकोलस रौरिक की दर्जनों चित्रकलाएं यहां मौजूद हैं। इसके अलावा उनके बेटे स्वातोस्लाव रौरिक द्वारा उकेरी गई कई चित्रकलाओं को भी चित्रकार निहारते हैं। प्रो. निकोलस रौरिक घोड़े पर सवार होकर चीन की सीमा तक पहुंचते थे। लेह-लद्दाख व लाहौल-स्पीति सहित तमाम क्षेत्रों में उन्होंने चहलकदमी की है और वहां की धरा को चित्रकला का रूप देकर कैनवास पर उकेरा है।