जब गर्भवती महिला को रैफर करते रहे डॉक्टर

Friday, Sep 18, 2020 - 12:20 PM (IST)

कांगड़ा (किशोर) : वैश्विक महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के दावों की पोल चंबा निवासी गर्भवती महिला के गर्भ में ही शिशु की मौत ने खोल कर रख दिए हैं। हिमाचल के 2 मैडिकल कालेजों तथा 2 सिविल अस्पतालों से रैफर करने की प्रक्रिया ने स्वास्थ्य सेवाओं पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए दंपत्ति ने बुधवार पूरी रात चंबा से टीएमसी फिर कांगड़ा और पालमपुर के रास्ते नाप दिए लेकिन सुबह तक स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर केवल अस्पतालों से रैफर होने की ही सूचना मिलती रही। टीएमसी में गाईनी विभाग के बंद होने के चलते अन्य अस्पतालों में पहुंचने पर मरीजों को किस तरह की सेवाएं मिल रही है, यह मामला ही सब कुछ बयां कर जाता है। चंबा निवासी महेंद्र सिंह ने बताया कि वह अपनी गर्भवती पत्नी को चंबा अस्पताल में ले गया था। लेकिन चंबा में कुछ समस्या होने पर महिला को वहां से टांडा मेडिकल कालेज के लिए रैफर कर दिया गया। 

उन्होंने बताया कि वह अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर रात को ही टांडा में पहुंच गया। टांडा अस्पताल में पहुंचने के बाद वहां पर स्टाफ ने उनको रैफर की स्लिप पकड़ाते हुए सिविल अस्पताल कांगड़ा में भेज दिया। उन्होंने बताया कि अपनी गर्भवती पत्नी और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए उसने समय बर्बाद न करते हुए पत्नी को सिविल अस्पताल कांगड़ा में पहुंचाया। कांगड़ा अस्पताल में डयूटी पर तैनात चिकित्सक ने अस्पताल में कोई उचित प्रबंध न होने की बात कही और रात को ही पालमपुर अस्पताल में भेजा। उन्होंने बताया कि जब वह पालमपुर अस्पताल में पहुंचा तो बताया गया कि रात के समय किसी भी डॉक्टर के मौजूद न होने के कारण उसे सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा गया। सुबह जब डॉक्टर आए तो उन्होंने महिला की हालत को देखते हुए फिर से टांडा रैफर कर दिया। वीरवार को टांडा पहुंचने के उपरांत वह इधर से उधर भागता रहा लेकिन दोपहर के बाद उसकी पत्नी को डॉक्टरों द्वारा देखा गया तो तब तक गर्भ में नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया था। खबर लिखे जाने तक महिला का टांडा अस्पताल के लेबर रुम में उपचार चल रहा था।

कोरोना पॉजिटिव मरीज के कारण सेनेटाइज किया गया था लेबर रुम

इस संबंध में टांडा मेडिकल कालेज के गाईनी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सीता ठाकुर से इस बारे बात की तो उन्होंने बताया कि रात के समय विभाग में कोरोना पॉजिटिव के रोगी होने के कारण विभाग को सैनिटाइज के लिए बंद किया गया था। इसके लिए चंबा से पहुंची उक्त गर्भवती महिला को सिविल अस्पताल कांगड़ा भेजा था। लेकिन जब तक प्रसूति महिला टांडा अस्पताल में वापस इलाज के लिए आई तब तक 5 माह के शिशु की गर्भ में मृत्यु हो चुकी थी। अब महिला को लेबर रूम में दाखिल कर लिया है तथा डॉक्टर प्रयास कर रहे हैं कि उक्त महिला के मृत शिशु को दवाइयों से या ऑपरेशन से बाहर निकाला जाए ताकि महिला की जान बच सके।

कांगड़ा के एसएमओ को नहीं मामले की जानकारी

इस बाबत सिविल अस्पताल कांगड़ा के एसएमओ डॉ. विवेक करोल से बात की तो उन्होंने बताया की उन्हें इस मामले की कोई भी जानकारी नहीं है। यदि इस प्रकार का मामला आया है तो इसकी जांच की जाएगी। सिविल अस्पताल पालमपुर के एमएस डॉ. विनय महाजन ने बताया कि उनके पास इस तरह के मामले की कोई जानकारी नहीं है। शुक्रवार सुबह मामले को लेकर रात्रि रिकॉर्ड देखेंगे, उसके बाद ही इस मामले में कोई जानकारी दे सकेंगे। चंबा निवासी महेंद्र सिंह की गर्भवती पत्नी को गंभीर हालत में भी रैफर पर रैफर किए जाने के इस मामले ने अब सिविल अस्पतालों की रात्रि सेवाओं पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। टीएमसी में कोरोना मरीजों के आने के चलते स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी सिविल अस्पतालों में ही जाने की बात कही जा रही है। लेकिन सिविल अस्पतालों में मरीजों को रैफर ही किए जाने के ऐसे मामले स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की सच्चाई पेश कर रहे हैं।
 

prashant sharma