कोरोना वारियर्स को यह कैसा सम्मान, आशा वर्करों को मानदेय नहीं
punjabkesari.in Thursday, Nov 26, 2020 - 03:36 PM (IST)

नाहन (सतीश) : कोरोना काल के बीच कोरोना वारियर्स के तौर पर काम कर रही आशा वर्करों को मानदेय नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विकट परिस्थितियों में काम कर रही आशा वर्करों को लेकर सरकार गंभीर क्यों नहीं है। हिमाचल में कोविड महामारी के बीच महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही आशा कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही हो। अपनी समस्याओं को लेकर नाहन में आशा वर्करों ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मुलाकात की। आशा वर्करों का कहना है कि उन्हें अगस्त माह से मानदेय नहीं मिल पा रहा है जिस कारण वह अपने खर्चों को भी पूरा नहीं कर पा रही है, फिर परिवार का पालन पोषण कैसे होगा। इनका कहना है कि रोजाना उन्हें फील्ड में जाकर डाटा अपडेट करना पड़ता है। सरकार ने उन्हें मोबाइल तो दे दिए मगर मोबाइल में रिचार्ज की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिस कारण से अपने पैसे लगाकर रिचार्ज करने पड़ते है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार द्वारा उन्हें सर्वे पूरा करने के लिए जो निर्धारित समय दी गई है वह 1 माह की है, जबकि यह कार्य पूरा करने में लगभग लम्बा वक्त लग जाएगा और इस एवज में मात्र 1000 रूपए देने की बात कही गई है।
आशा वर्करों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता तब तक वह सरकार द्वारा दिए कोविड को लेकर दिए गए सर्वे के कार्य को आगे नहीं बढ़ाएंगी हालांकि इस दौरान वह हो पूर्व में उनको सौंपे गए कार्य को नियमित तौर पर जारी रखेंगी। उधर इस बारे में जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके पराशर ने बताया कि आशा वर्करों की समस्याओं को विभाग के उच्चाधिकारियों के सामने उठाया जाएगा और जल्द उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा ताकि सर्वे का कार्य प्रभावित ना हो। आशा वर्करों ने कोविड-19 के बीच एक्टिव फाइंड केस अभियान में विशेष भूमिका निभाई थी जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने भी सरकार की पीठ थपथपाई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार अब क्यों आशा कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है।