मौसम की बेरुखी ने तोड़ डाली बागवानों की रीढ़

Thursday, Aug 17, 2017 - 05:04 PM (IST)

कुल्लू: इस बार मौसम की बेरुखी ने बागवानों की कमर तोड़ दी है। घाटी में ओलावृष्टि के चलते सेब की फसल दागी होकर रह गई है। ऐसे में इस दोम दर्जे के सेब को मंडियों में बेच पाना बागवानों के लिए परेशानी बनकर रह गया है। दागी सेब मंडियों में औने-पौने भाव में बिक रहा है। ओलावृष्टि से प्रभावित हुई सेब की फसल को व्यापारी तरजीह नहीं दे रहे हैं। ऐसे में बागवानों को अपनी फसल को मंडियों में बेचने के लाले पड़ गए हैं। दागी माल को मंडियों तक लाने का खर्चा भी निकालना बागवानों के लिए कठिन हो गया है। 


30 फीसदी सेब ओलावृष्टि की जद्द में आने से हुआ दागी
ऐसे में घाटी के कई बागवानों ने फसल का तुड़ान न करने का फैसला कर लिया है। कुल्लू जिला की लगघाटी का पूरा इलाका, महराजा का 60 फीसदी, ऊझी घाटी का 25 फीसदी तथा मणिकर्ण घाटी का 30 फीसदी सेब ओलावृष्टि की जद्द में आने से दागी हो गया है। दागी सेब स्थानीय मंडियों में 10 से 16 रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा है। लगघाटी के बागवान राम लाल ठाकुर, मेहर चंद ठाकुर, राजेश कुमार, खुशहाल सिंह राठौर, चंदे राम ठाकुर, पार्वती घाटी के चुनी लाल, सुरेंद्र ठाकुर, टेक चंद, कुंदन, वीर सिंह, ऊझी घाटी से महेश कुमार, लाल सिंह, चंदन शर्मा, भोला राम, विजय कुमार, नरेंद्र ठाकुर, युवराज और प्रेम लाल ने बताया कि हालांकि ए ग्रेड का सेब जहां मंडियों में 100 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रहा है वहीं दागी सेब को कोई पूछ तक नहीं रहा है।


अप्रैल से जून तक लगातार होती रही ओलावृष्टि
बागवानों ने बताया कि अप्रैल से लेकर जून तक लगातार घाटी में भारी ओलावृष्टि होती रही। ओलावृष्टि की जद्द में आने से घाटी का सेब दागी बनकर रह गया है। दागी सेब की स्थानीय मंडियों में मांग न होने के चलते बागवानों को अपना उत्पाद बेचना मुश्किल भरा हो गया है। बागवानों ने सरकार से जहां मुआवजा देने की मांग की है वहीं जगह-जगह पंचायत स्तर पर सेब खरीद केंद्र खोलने की भी गुहार लगाई है।