सेरी नाला ने बढ़ाया लोगों का इंतजार, 8 साल में पूरा नहीं हो सका रोहतांग सुरंग का निर्माण

Tuesday, Aug 07, 2018 - 02:30 PM (IST)

मनाली : लाहौल घाटी को स्थायी रूप से शेष हिमाचल से जोडऩे वाली रोहतांग टनल केवल आज के आधुनिक मशीनी युग का एक बेजोड़ नमूना ही नहीं बल्कि यह सदियों से जान हथेली पर लेकर दुर्गम रोहतांग दर्रे को पार कर रहे हजारों लोगों और इस कारण कई-कई महीनों तक बर्फ  की कैद में रहने वाले लाहुलियों की आजादी का सपना भी है, जिसकी ताबीर 21वीं सदी में रोहतांग सुरंग के रूप में होने जा रही है। आज भले ही अत्याधुनिक मशीनें रोहतांग को आर-पार करने में लगी हैं लेकिन रोहतांग का यह सफर सदियों पहले भी जानलेवा था और अब जबकि टनल बन रही है तो भी इसे पार करना एक बड़ी चुनौती है। 8 साल बीतने के बावजूद 8.8 किलोमीटर की रोहतांग सुरंग का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका है जबकि इसके वर्षांत तक पूरा होने की उम्मीद थी।

अब इसके निर्माण होने के लिए अगले साल नवम्बर तक इंतजार करना होगा। इस बीच 1,500 करोड़ रुपए की इस अनुमानित परियोजना पर अभी तक 2,054 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं जबकि पूर्ण होने तक 4,083 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। 12 महीने बर्फ  से ढका रहने वाला रोहतांग तब भी एक विषम चुनौती था। इस रास्ते से चीन व तिब्बत से लेकर जापान, मंगोलिया, अफगानिस्तान व साथ लगते देशों तक पैदल व्यापार होता था और यह आजाद भारत में भी व्यवस्थागत व सामरिक दृष्टि से हमेशा जटिल रहा है।

इस टनल को पूरा करने के लिए यू.पी.ए. की पूर्व केंद्र सरकार ने भी भरपूर कोशिश की और अब भाजपा भी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इसे जनता को समर्पित कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती थी लेकिन रोहतांग की जटिलता से ऐसा नहीं हो सका है। रोहतांग टनल के पूर्ण होने में इस बर्फीले ग्लेशियर की जटिलता शुरू से प्रमुख रोड़ा रही है। अब जबकि साऊथ व नॉर्थ पॉर्टल जुड़ गए हैं तो भी बीच में सेरी नाले का प्रबंधन टनल की राह रोके हुए है। हालांकि सुरंग का निर्माण अत्याधुनिक न्यू ऑस्ट्रिया तकनीक से हो रहा है लेकिन उम्मीद से अधिक लूज डाटा ने निर्माणकत्र्ताओं को अभी तक उलझाया हुआ है। सुरंग में जगह-जगह पानी का रिसाव, गीली व भारी मिट्टी और ठोस चट्टानों की सांइटिफिक कोटग शुरू से काफी मुश्किल रही।

kirti