मतदान संपन्न होने के बाद भी हिमाचल के प्रति चुनाव आयोग का रवैया सख्त

Monday, Nov 20, 2017 - 09:34 AM (IST)

शिमला: चुनाव आचार संहिता के कारण विकास की रफ्तार पूरी तरह से थम गई है। मतदान प्रक्रिया संपनं होने के बाद भी केंद्रीय चुनाव आयोग का रवैया प्रदेश के प्रति नरम नहीं हो रहा है। प्रदेश के विभिन्न विभागों, बोर्ड व निगमों ने तीन दर्जन से ज्यादा मामलों में केंद्रीय चुनाव आयोग से विकास कामों, भर्ती प्रक्रिया शुरू करने, रिजल्ट घोषित करने व टैंडर निकालने इत्यादि की अनुमति मांग रखी है लेकिन वोटिंग के 10 दिन बीत जाने के बाद एक भी मामले में अब तक केंद्र से अनुमति नहीं आई है। हैरानी इस बात की है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत और डिपो में मिलने वाले सस्ते राशन की खरीद की भी चुनाव आयोग अनुमति नहीं दे रहा है। इस कारण प्रदेश के 18 लाख से ज्यादा राशनकार्ड धारकों को दिसंबर और जनवरी माह में सस्ते राशन की अभी से चिंता सताने लगी है।


डिपो में दालों समेत आटे का कोटा खत्म होने की कगार पर
डिपो में चीनी, चावल व दालों समेत आटे का कोटा लगभग खत्म होने की कगार पर है। खाद्य आपूर्ति महकमा टैंडर करने के लिए आयोग से परमिशन का इंतजार कर रहा है लेकिन चुनाव आयोग इसकी परमिशन देने के बजाय पूरी तरह से गुजरात इलैक्शन में व्यस्त है। इसी तरह विभिन्न विभागों के टैंडर करने, राज्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को रिजल्ट घोषित करने, नई भर्तियों के विज्ञापन जारी करने, विभिन्न विभागों में बैचवाइज भर्ती के रिजल्ट निकालने, बैच वाइज भर्ती करने व ट्रांसफर करने इत्यादि जैसे मामलों में केंद्रीय चुनाव आयोग अनुमति नहीं दे रहा है जबकि निर्वाचन विभाग ने विभिन्न जरूरी कामों के लिए अनुमति की फाइल चुनाव आयोग को भेज रखी है। 


प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता आगामी 20 दिसंबर तक लागू 
कायदे से मतदान प्रक्रिया संपन्न होने के बाद जरूरी काम शुरू करने की हर बार चुनाव आयोग अनुमति दे देता है लेकिन इस बार आयोग ऐसा नहीं कर रहा है जबकि प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता आगामी 20 दिसंबर तक लागू रहेगी। मतदान संपन्न होने के बाद भी 40 दिन तक चुनाव आचार संहिता लागू रहेगी, ऐसे में चुनाव आयोग की अनुमति के बगैर विकास के नाम पर पत्ता भी इधर से उधर नहीं किया जा सकता है। प्रदेश विश्वविद्यालय में चुनाव आचार संहिता के कारण शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई है। इसी तरह शिक्षा विभाग भी विभिन्न पदों पर बैचवाइज कोटे से भर्ती नहीं कर पा रहा। बिजली बोर्ड ने भी खेल कोटे से कुछ पदों के लिए इंटरव्यू ले रखे हैं लेकिन इनके रिजल्ट घोषित नहीं कर पा रहा। 


बेरोजगारों को नौकरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा 
लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग भी पहले से चल रहे इंटरव्यू के न तो फाइनल रिजल्ट और न ही लिखित परीक्षा के रिजल्ट निकाल पा रहा है। जिस कारण उन बेरोजगारों को नौकरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, जो चयनित होने हैं। लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग, पर्यटन विभाग, हिमुडा समेत अन्य विभाग, बोर्ड और निगम भी जरूरी कामों के टैंडर नहीं कर पा रहे हैं। पंचायतों को भी विभिन्न स्कीमों के तहत मिलने वाला बजट रुक गया है। इससे पंचायतों में भी विकास की रफ्तार थम गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उद्योग विभाग, टी.सी.पी., अग्निशमन विभाग से लोगों को विभिन्न अनापत्ति प्रमाण पत्र चुनाव आचार संहिता के कारण नहीं दे पा रहे हैं। 


अभी भी चुनाव आचार संहिता को एक माह
प्रदेश में भले ही 9 नवंबर को मतदान हो चुका है, लेकिन मतगणना गुजरात के साथ आगामी 18 दिसंबर को की जानी है। चुनाव आचार संहिता 20 दिसंबर तक लागू रहेगी, ऐसे में प्रदेशवासियों को चुनाव आचार संहिता हटने के लिए अभी भी एक माह का लंबा इंतजार करना होगा। हालांकि  केंद्रीय चुनाव आयोग के इस निर्णय से प्रदेशवासियों में रोष व्याप्त है। प्रदेश में बीते 12 अक्तूबर से चुनाव आचार संहिता लागू है।


मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित
केंद्रीय चुनाव आयोग से विभिन्न मामलों की अनुमति के लिए चुनाव विभाग ने प्रदेश में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर रखी है। विभिन्न विभाग इस कमेटी के पास मंजूरी के लिए आवेदन करते हैं। इसके बाद चुनाव विभाग के माध्यम से फाइल मंजूरी के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजी जाती है।