पर्यावरण का संदेश देने 2800 KM पैदल चला वीरेंद्र ठाकुर, 48 दिनों में तय किया कुल्लू से केरल का सफर

Friday, Jun 18, 2021 - 11:19 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप): अड़चनों का बहाना बना घुटने टेक देने वालों को सीख देने के लिए वीरेंद्र ठाकुर का हौसला एक मिसाल है। वीरेंद्र ठाकुर की माता तारा देवी और पिता श्याम लाल ने अपने बेटे का कुल्लू पहुंचने पर फूलमालाओं के साथ स्वागत किया और इस दौरान दोनों खुश नजर आए। उन्होंने अपने बेटे को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। कुल्लू जिले की फोजल पंचायत के धारा गांव निवासी एक युवक वीरेंद्र ठाकुर ने पर्यावरण का संदेश देने के लिए 2800 किलोमीटर का पैदल सफर पूरा किया। यह पैदल यात्रा युवक ने कुल्लू जिले के डोभी नामक स्थान से शुरू की थी और केरल राज्य के कासर बोर्ड शहर में समाप्त हुई। युवक के अनुसार यह सफर उसने 48 दिनों में पूरा किया है। हालांकि केरल से वापस कुल्लू साइकिल के माध्यम से पहुंचने की योजना थी लेकिन केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मानसून शुरू होने के कारण वापसी का सफर स्थगित करना पड़ा।

 ग्रामीणों ने फूलमालाएं पहनाकर किया स्वागत

लिहाजा उसके बाद युवक कुल्लू अपने घर लौट आया है। कुल्लू पहुंचने पर फोजल पंचायत के प्रधान रामनाथ कान्हा, उपप्रधान इंद्र सिंह, पंचायत समिति सदस्य मनाली, वार्ड सदस्य और माता-पिता सहित तमाम ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर युवक का फूलमालाओं के साथ स्वागत किया। वीरेंद्र ठाकुर ने कहा कि उनकी इस पैदल यात्रा का मुख्य उद्देश्य कुल्लू जिले और प्रदेश के लोगों को यह संदेश देना था कि वे हिमाचल प्रदेश से बाहर जाने से कतराते हैं। उन्होंने लोगों को संदेश दिया है कि अपने क्षेत्र और जिले से बाहर निकलने से हम कुछ न कुछ नया सीखते हैं और इसके साथ ही नेचर की सुरक्षा करने का संदेश भी मुख्य रूप से था। उन्होंने बताया कि उनके रास्ते में कई बाधाएं आईं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इस दौरान मनाली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी नेता भुवनेश्वर गौड़, जिला परिषद अध्यक्ष पंकज परमार व उपाध्यक्ष वीर सिंह ठाकुर सहित कई नेताओं व जनप्रतिनिधियों ने भी वीरेंद्र सिंह को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। 

तंबू लगाकर रात जंगल में ही काटनी पड़ी 

वीरेंद्र ने बताया कि लॉकडाऊन के कारण उसे 3 दिन तक खाने के लिए कुछ नहीं मिला तो उसने जो बिस्कुट अपने बैग में डाल रखे थे उनके सहारे ही 3 दिन बिताए। यह उसके लिए बहुत ही कठिन दौर था। इस दौरान उसे अपने आप को जिंदा रखना बड़ी चुनौती थी। इसके अलावा जब राजस्थान पहुंचा तो इस दौरान एक मोटरसाइकिल सवार ने उसका मोबाइल छीनने की कोशिश की लेकिन उसने मोबाइल जोर से पकड़ रखा था जिस कारण वह मोबाइल नहीं छीन पाया। इसके साथ ही कर्नाटक राज्य के गांव बहुत ही दूर-दूर हैं और रास्ता जंगल भरा है। इस दौरान उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी और रात जंगल में ही तंबू लगाकर काटनी पड़ी, जहां उसे जंगली जानवरों का खतरा था। आखिर में ये तमाम बाधाएं पार कर लीं और अपना सफर पूरा करने के बाद आज अपने घर कुल्लू पहुंचा। 

8 राज्यों से होकर पूरा किया सफर

वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि उसने अपना यह सफर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले से शुरू किया था जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्यों में पूरा किया।

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Vijay