वीरभद्र के तेवरों से सियासी भूचाल, कई नेताओं को सताने लगा समीकरण बिगड़ने का डर

Friday, Sep 01, 2017 - 10:10 AM (IST)

शिमला: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के तेवरों ने राज्य की सियासत को गरमा दिया है। वीरभद्र के चुनाव लड़ने से इंकार करने पर प्रदेश के कई नेताओं के समीकरण बिगड़ने का डर सताने लगा है। वीरभद्र सिंह के चुनाव न लडऩे के ऐलान के बाद लगभग आधा दर्जन नेता चुनाव न लडऩे की बात कह चुके हैं। आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी, सी.पी.एस. नीरज भारती, पूर्व मंत्री सत्यप्रकाश ठाकुर और पूर्व विधायक सुरेंद्र पाल ठाकुर सहित अन्य नेता स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि वीरभद्र सिंह चुनावी मैदान में नहीं उतरते हैं तो वे भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। 


वीरभद्र चुनाव न लड़ने और लड़वाने की बात पर अडिग
इसके साथ ही कांग्रेस के कई अन्य नेता जिनमें सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा व विधायक आशा कुमारी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री वीरभद्र के नेतृत्व में ही लड़ने की बात कह चुके हैं। लेकिन कांग्रेस संगठन की बागडोर संभाल रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ चल रहे विवाद के चलते वीरभद्र फिलहाल चुनाव न लड़ने और लड़वाने की बात पर अडिग हैं। हालांकि कांग्रेस हाईकमान की ओर से वीरभद्र और सुक्खू के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने के प्रयास पिछले कुछ समय से चल रहे हैं लेकिन विवाद थमता नहीं दिख रहा। जबकि दूसरी ओर विपक्षी दल भाजपा द्वारा पिछले कई माह से चुनावों के दृष्टिगत कार्यक्रम फील्ड में शुरू किए जा चुके हैं। 


संगठन की ओर से नहीं मिल रहा सहयोग: वीरभद्र
उधर, दिल्ली दौरे के दौरान वीरभद्र सिंह की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीति सचिव अहमद पटेल से हुई है। इन दोनों बैठकों को काफी अहम माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि वीरभद्र ने साफ कह दिया है कि उन्हें संगठन की ओर से जरा सा भी सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में वह विधानसभा चुनावों में नहीं उतर सकते। बताया जाता है कि वीरभद्र ने सुक्खू के स्थान पर किसी और योग्य नेता को राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की बात इन दोनों नेताओं के समक्ष रख दी है। अब फैसला हाईकमान को लेना है। 


सोशल मीडिया पर नीरज भारती के ये हैं बोल
मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा है कि चाहे जो मर्जी बोल लो, लीडर तो हिमाचल में एक ही है जो कांग्रेस की नैया पार लगा सकता है। उन्होंने पोस्ट किया है कि बातें करने और मुख्यमंत्री बनने के लिए तो बहुत से तैयार हैं, पर सीटें उनकी भी सी.एम. वीरभद्र सिंह की मदद के बिना नहीं निकलती हैं। इसलिए यदि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार को दोबारा लाना है तो वीरभद्र सिंह को ही चुनाव की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। 


वीरभद्र नहीं तो मैं भी नहीं लड़ूंगा चुनाव: प्रकाश चौधरी
मुख्यमंत्री के चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद सबसे पहले आबकारी एवं कराधार मंत्री प्रकाश चौधरी खुलकर सामने आए। इसके तहत उन्होंने दो टूक कहा था कि यदि वीरभद्र सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे तो वह भी चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। उनका कहना था कि हिमाचल में कांग्रेस का दूसरा नाम वीरभद्र सिंह है और इसे सभी भलीभांति जानते हैं। 


वीरभद्र सिंह ही हों कांग्रेस का चेहरा: स्टोक्स
मुख्यमंत्री के पक्ष में उतरते हुए आई.पी.एच. मंत्री विद्या स्टोक्स भी कह चुकी हैं कि विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह ही कांग्रेस का चेहरा होने चाहिए। उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह का कोई विकल्प नहीं है। उनका कहना था कि यहां विधानसभा चुनाव 2 पार्टियों के बीच होता है और हार-जीत का अंतर मात्र 1-2 फीसदी ही रहता है तथा यह अंतर एक काबिल नेता की दक्षता से ही जीत में बदला जा सकता है। 


वीरभद्र चुनाव न लड़े तो होगा नुक्सान: सुधीर शर्मा
शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा का कहना है कि जिस नेता के साथ इतने ज्यादा लोग हों, वह चुनाव न लडऩे का फैसला अकेले कैसे ले सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने फैसले से विधायक दल को अवगत करवाया है लेकिन वीरभद्र सिंह से अपना फैसला वापस लेने की मांग सबने की है क्योंकि अगर वीरभद्र चुनाव से किनारा कर लेते हैं तो इससे कांग्रेस पार्टी को विधानसभा चुनावों में नुक्सान होगा।


... तो मैं भी नहीं लड़ूंगा चुनाव: सत्य प्रकाश
पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे तो मैं भी चुनाव नहीं लड़ूंगा। विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए आवेदन नहीं करूंगा। सत्य प्रकाश ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में यदि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस पार्टी 50 प्लस सीटें जीत सकती है और कांग्रेस सरकार रिपीट होगी। मैं तभी चुनाव लडूंगा अगर चुनाव वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में होंगे और वीरभद्र सिंह भी चुनाव लड़ेंगे। 


यह है विवाद का कारण
हिमाचल में सत्ता-संगठन में लंबे समय से घमासान मचा हुआ है और दोनों अलग-अलग पटरी पर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री लंबे समय से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को बदलने की मांग कर रहे हैं लेकिन हाईकमान उनकी मांग को अनसुना कर रहा है। कांग्रेस प्रभारी शिंदे कह चुके हैं कि न मुख्यमंत्री हटेंगे और न ही वीरभद्र। ऐसे में प्रदेश संगठन और हाईकमान द्वारा नजरअंदाज करने से मुख्यमंत्री ने चुनाव से ठीक पहले चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया है। गौर हो कि मुख्यमंत्री यहां तक कह चुके हैं कि संगठन में ऐसे लोगों की नियुक्तियां कर दी गई हैं, जिन्हें उनके पड़ोसी तक नहीं जानते हैं।


पहले कौल क्या अब सुक्खू की बारी !
हिमाचल कांग्रेस के नेताओं पर अपनी मजबूत पकड़ के चलते वीरभद्र सिंह वर्ष 2012 के चुनावों से ठीक पहले कौल सिंह ठाकुर की भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से छुट्टी करवा चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान को विधानसभा चुनावों से ठीक कुछ दिन पहले वीरभद्र सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाना पड़ा था। उसके बाद विधायकों की नंबर गेम में वह आगे रहे और छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। इस बार उनके निशाने पर मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू चल रहे हैं। जिन्हें हटाने के लिए इस बार भी शायद वीरभद्र सिंह ने दबाव की राजनीति का सहारा लिया है।