वीरभद्र सरकार ने 17 हजार पुलिस कर्मियों को दिया करारा झटका

Tuesday, Jun 27, 2017 - 11:08 AM (IST)

शिमला: राज्य सरकार ने हिमाचल के करीब 17,000 पुलिस कर्मियों को करारा झटका दिया है। इन कर्मचारियों को सरकार नए पे-स्केल के आधार पर अतिरिक्त पगार नहीं देगी। प्रशासनिक टिब्यूनल को दिए जवाब में सरकार ने इसे देने से साफ इंकार किया है। इसे नए पे-स्केल को जारी न करने की वजह आर्थिक संकट बताया गया है। पुलिस कल्याण संघ ने सरकार के जवाब पर कड़ा एतराज जताया है। उसने इसे लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। संघ के मुताबिक 5 वर्षों में अतिरिक्त वेतन से महरूम रखने से कर्मचारियों को करीब 35 करोड रुपए का आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा है। संगठन ने वकील के माध्यम से तैयार किए जवाब में सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठाए हैं। 


पुलिस जवानों को 8 साल की नियमित सेवाओं के बाद ही मिलेगा ग्रेड-पे और पे-बैंड
उन्होंने कहा कि अगर सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है तो फिर मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों, बोर्डों, निगमों के अध्यक्षों व विधायकों की तनख्वाह क्यों बढ़ाई गई? क्या माननीयों की तनख्वाह बढ़ाने से हिमाचल के सरकारी खजाने पर बोझ नहीं पड़ा? क्या पुलिस कर्मचारियों के प्रमोशन और अतिरिक्त वेतन देने से ही खजाने पर बोझ पड़ेगा? अनुशासनात्मक पुलिस फोर्स के जवान व अराजपत्रित पुलिस अधिकारी 24 घंटे ड्यूटी बजाते हैं। उनके लिए काम के 8 घंटे क्यों तय नहीं हैं? कई राज्यों में ऐसी व्यवस्था है। वहां वीकली ऑफ की भी व्यवस्था है लेकिन हिमाचल में इसके लिए भी कानूनी जंग लड़नी पड़ रही है। ग्रेड-पे और पे-बैंड से महरूम रखने की अधिसूचना 14 जनवरी, 2015 को जारी हुई थी। उसे तत्कालीन प्रधान सचिव वित्त ने जारी किया था। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि पुलिस जवानों को 8 साल की नियमित सेवाओं के बाद ही ग्रेड-पे और पे-बैंड मिल सकेगा। पुलिस जवान इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग उठा रहे हैं लेकिन फिलहाल इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। चुनावी साल में सरकार को पुलिस जवानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है।


ये मामले भी चल रहे हैं कोर्ट में
पुलिस कर्मियों को 16, 24 और 32 साल के बाद 3 प्रमोशन दिए जाने का मामला वर्ष 2010 से कोर्ट में चल रहा है। बाद में इसे प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भेजा गया। इस साल 28 फरवरी को संशोधित अतिरिक्त वेतन का मामला भी कोर्ट पहुंचा। लेकिन सिलसिला नहीं थमा। मई महीने में ग्रेड-पे का मुद्दा कोर्ट पहुंचाया गया। इसके अलावा नीली टोपी को लेकर केस हाईकोर्ट में चल रहा है। ये सभी केस संघ की ओर से किए गए हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश चौहान का कहना है कि सरकार के ताजा रुख से पुलिस फोर्स में निराशा का माहौल है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि वह इन मुद्दों को कोर्ट से बाहर सैटल करे।