फोरलेन निर्माण कंपनी की लापरवाही से खतरे में गांव, जमींदोज हो रहे मकान

Wednesday, Feb 20, 2019 - 11:09 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप): नेरचौक-मनाली फोरलेन निर्माण के चलते रामशिला देऊधार गांव में दर्जनों बीघा भूमि भू-स्खलन से तहस-नहस हो चुकी है। फोरलेन का निर्माण कर रही कंपनी की लापरवाही के कारण पिछले डेढ़ वर्ष से लगातार भू-स्खलन होने के कारण एक साल पहले 2 मकान धराशायी हो चुके हैं और दर्जनों कनाल भूमि बर्बाद होने से लोगों को करोड़ों रुपए का नुक्सान हो चुका है, जिसमें 2 रिहायशी मकान भी जमींदोज हो चुके हैं। फोरलेन निर्माण में कंपनी की लापरवाही के कारण सड़क के किनारे भू-स्खलन को रोकने के लिए उचित आर.सी.सी. डंगे समय पर न लगाने के कारण स्थानीय लोगों की दर्जनों बीघा भूमि ढह गई जिसके कारण देऊधार गांव के 4 और मकानों को खतरा पैदा हो गया है। भू-स्खलन के कारण मकानों के आगे बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं जिसके कारण लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। फोरलेन निर्माण में कंपनी प्रबंधन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में भू-स्खलन के कारण देऊधार गांव का अस्तित्व भी मिट सकता है।

सरकार व प्रशासन ने नहीं उठाया कोई उचित कदम

गौरतलब है कि फोरलेन निर्माण में तलोगी से लेकर रामशिला तक भू-स्खलन के कारण लोगों की जमीनें धंस रही हैं जिससे सरकार व प्रशासन द्वारा लोगों की जमीनों व घरों को हो रहे नुक्सान को लेकर उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है और फोरलेन निर्माण में कंपनी की लापरवाही के कारण रामशिला में मकान धराशायी होने के एक साल के बाद भी प्रभावितों के नुक्सान की भरपाई नहीं हुई है, साथ ही प्रभावित परिवारों ने दर-दर की ठोकरें खाने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

जरूरत से ज्यादा कटिंग से हो रहा भू-स्खलन

स्थानीय निवासी सीमा शर्मा ने बताया कि फोरलेन निर्माण कंपनी द्वारा जरूरत से ज्यादा कटिंग करने व सड़क के किनारे समय पर डंगे न लगाने के कारण भू-स्खलन हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन कंपनी को सड़क के साथ 20 से 25 फुट ऊंचे आर.सी.सी. डंगे लगाने के निर्देश दें ताकि उनके मकानों को बचाया जा सके।

एक साल से नहीं मिला मुआवजा

प्रभावित जय नारायण ने बताया कि फोरलेन निर्माण के कारण उनकी 9 बीघा भूमि व 2 मकान एक साल पहले धराशायी हो गए हैं जिसका मुआवजा एक साल से नहीं मिला है और फोरलेन प्रबंधन मुआवजा देने के लिए टालमटोल कर रहा है जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में मुआवजे के लिए केस दायर किया है। उन्होंने कहा कि कई बार प्रशासन व फोरलेन अथॉॅरिटी से उचित कार्रवाई की मांग भी कर चुके हैं तो उनका जवाब है कि मकान आर.डब्ल्यू. के बाहर हैं। उन्होंने कहा कि मैदानी इलाकों के नियमों को पहाड़ी इलाकों में लगाया गया है।

उचित मुआवजे के लिए खा रहे दर-दर की ठोकरें

प्रभावित ओंकार शर्मा ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष से फोरलेन निर्माण चल रहा है, जिससे रामशिला देऊधार में उनका घर जमींदोज हो गया है और पिछले एक साल से सरकार व प्रशासन से उचित मुआवजे को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका मकान क्षतिग्रस्त होने के कारण वे परिवार के साथ शैड में रहने को मजबूर हैं, वहां भी बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर व विधायक सुंदर सिंह ठाकुर से भी अपनी समस्या के समाधान के लिए बात की और मुख्यमंत्री से भी उचित मुआवजे की मांग की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि अभी भी लगातार भू-स्खलन हो रहा है जिससे 4 और घरों के आगे दरारें पडऩे के कारण घरों के गिरने का खतरा बना हुआ है। फोरलेन निर्माण में कटिंग के बाद भू-स्खलन को रोकने के लिए आर.सी.सी. डंगे लगाए जाएं।    

Vijay