Vigilance रिपोर्ट में खुलासा, कंडक्टर भर्ती में हुई थी धांधली

Tuesday, Feb 21, 2017 - 11:43 PM (IST)

शिमला: पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ट्रांसपोर्ट मल्टीपर्पज असिस्टैंट (टी.एम.पी.ए.) की भर्ती में सभी तरह के कायदे-कानून ताक पर रखे गए। वर्ष 2003 में भर्ती के लिए 300 पद विज्ञापित किए गए। इसके लिए करीब 20,000 आवेदन आए। 14,107 अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा दी लेकिन चयनित किए 378 अभ्यर्थी। इसलिए उचित प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। कथित मैरिट लिस्ट में चयन बोर्ड के किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं हैं। कोई भी वेटिंग लिस्ट तैयार नहीं की गई। जिन अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा में 20 या इससे अधिक अंक प्राप्त किए, उन्हें इंटरव्यू में 10 से भी कम अंक दिए गए जबकि जिन अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा में 15 से कम अंक लिए, उन्हें इंटरव्यू में 16 से भी अधिक अंक प्रदान किए गए। 14,000 में से 378 को छोड़कर कोई भी 35 अंकों का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाया। लिखित और इंटरव्यू के कुल 55 अंक रखे गए थे लेकिन चयनित अभ्यर्थियों के अलावा कोई भी 35 के आसपास नहीं पहुंचा। 

पंजाब केसरी के मौजूद है फर्जीवाड़े की विजीलैंस रिपोर्ट 
पंजाब केसरी के पास इस फर्जीवाड़े की विजीलैंस रिपोर्ट मौजूद है। पूर्व भाजपा सरकार के समय वर्ष 2012 में डी.एस.पी. रैंक के अफसर ने भर्ती की  जांच की। उन्होंने इसमें भारी धांधलियां पाईं। 19 जुलाई, 2012 को तैयार की गई इस गोपनीय रिपोर्ट में कंडक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को दिखावा करार दिया गया है। जिन अभ्यर्थियों का अंतिम चयन हुआ, वे विज्ञापित पदों से मेल नहीं खा रहे हैं। 200 प्वाइंट रोस्टर लागू नहीं हुआ। चयन के लिए कोई भी कम्बाइंड मैरिट लिस्ट नहीं बनाई गई। इसकी जगह डिवीजन वाइज कथित मैरिट लिस्ट तैयार की। इसमें किसी के भी हस्ताक्षर नहीं हैं। अथॉरिटी ने अपने चहेते भर्ती किए थे। 13 पात्र अभ्यर्थियों का पहले चयन नहीं हुआ। बाद में इन्हें भी अंतिम सूची में भर्ती कर लिया गया। जांच अधिकारी ने पूरी भर्ती पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। 

टी.एम.पी.ए. की भर्ती को लेकर विजीलैंस की भी 2 रिपोर्ट 
विभाग के ई.डी. मस्तराम कहते हैं कि टी.एम.पी.ए. की भर्ती को लेकर विजीलैंस की भी 2 रिपोर्ट हैं। एक में सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश की गई और दूसरे में कुछ कहा गया है। फिर भी निगम प्रबंधन ने इसके आधार पर एच.के. गुप्ता को चार्जशीट किया था। पुलिस या फिर जांच एजैंसी हमसे जो भी रिकॉर्ड मांगेगी, हम देंगे। बता दें कि कथित धांधलियों के आधार पर भर्ती हुए कंडक्टर अब नियमित हो गए हैं। अगर प्राथमिकी दर्ज होगी तो उन्हें भी जांच से गुजरना होगा। 

कोर्ट ने दिए हैं प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश
इस माह शिमला की एक अदालत ने पूरी भर्ती को लेकर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश पर थाना सदर में प्राथमिकी दर्ज होनी है लेकिन पुलिस इससे इंकार कर रही है। पुलिस ने कोर्ट से आग्रह किया है कि इस केस को विजीलैंस को सौंपा जाए। इसमें एच.आर.टी.सी. के तत्कालीन प्रबंध निदेशक समेत कई आला अधिकारियों को भी आरोपी बनाए जाने के आदेश दिए गए हैं। अब इस केस की सुनवाई 27 फरवरी को होगी। पुलिस का तर्क है कि विजीलैंस ने पहले भी जांच की थी। केस का राज्यव्यापी दायरा होने के कारण पुलिस जांच नहीं कर पाएगी।

क्या कहते हैं परिवहन मंत्री
परिवहन मंत्री जी.एस. बाली का कहना है कि टी.एम.पी.ए. की भर्ती के 3 अलग-अलग केस कोर्ट में हैं। एक हाईकोर्ट, दूसरा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और तीसरा जिला कोर्ट के पास हैं। जिस केस में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है, वह काफी पुराना है। सरकार की हमेशा कोशिश रही है कि लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा देने के लिए स्टाफ की भर्ती की जाए। लेकिन कुछ लोग इस भर्ती को कानूनी पेचीदगियों में ही उलझाना चाहते हैं।