सोलन के युवाओं की अनूठी पहल, घर के कचरे से किया मशरूम का उत्पादन

Wednesday, Sep 11, 2019 - 01:35 PM (IST)

सोलन (नरेश पाल) : मशरूम सिटी ऑफ इंडिया का नाम दिमाग में आते ही हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर की तस्वीर सामने आ जाती है। सोलन को यह नाम मशरूम की खोज करने के लिए आज से 22 साल पहले 10 सितंबर के दिन मिला था। मंगलवार को मशरूम सिटी सोलन की 22वीं वर्षगांठ पर मशरूम अनुसंधान निदेशालय चंबाघाट ने एक दिवसीय राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन किया। इसमें सोलन के मशरूम उत्पादक सहित देश के लगभग 25 राज्यों के करीब 1 हजार से अधिक मशरूम उत्पादकों, किसानों और अनुसंधानकर्ताओं ने मशरूम उत्पादन तकनीकियों पर आधारित प्रदर्शनी में भाग लिया।

सोलन के युवाओं श्रेय गुप्ता व आशिष पलटन ने अनूठी पहल तहत घर के कचरे से मशरूम के उत्पादन की तकनीक विकसित की है। रसोई का कचरा जिसे हम बाहर फेंक देते है। सोलन के इन दोनों युवा वैज्ञानिकों ने इससे ही मशरूम का उत्पादन शुरू कर दिया है। यही नहीं सोलन में करीब 100 लोगों को इस तकनीकी की जानकारी भी दी है।

श्रेय गुप्ता ने बताया कि रसोई का कचरा ,लकड़ी का बुरादा, पैंसिल का बुरादा, सूखे पत्ते व फलों के बीच से डिंगरी मशरूम का उत्पादन हो सकता है। यह उत्पादन तीन से चार बार हो सकता है। इसके बाद इसकी खाद भी बनाई जा सकती है।

यही नहीं प्लास्टिक कचरे से ईंट भी बनाई है। जिसका इस्तेमाल मकान के निर्माण के लिए किया जा सकता है। मशरूम मेले में लोग बड़ी उत्सुकता से यह जानकारी हासिल करने में लगे हुए थे।

 

Edited By

Simpy Khanna