बेटी बचाने की दिशा में ऊना प्रशासन की अनोखी पहल (Watch Video)

Friday, Nov 30, 2018 - 01:01 PM (IST)

ऊना (अमित): यूं तो सरकारें जनहित में योजनाओं का ऐलान करती रहती हैं लेकिन अक्सर ये योजनाएं कागजों में अधिक चलायमान रहती हैं और असलियत में कम। ज्यादातर मामलों में जनता तक ये योजनाएं पूरी तरह पहुंचती ही नहीं हैं और प्रशासन या सरकारें दावे कर इतिश्री कर लेते हैं। देश के ज्यादातर हिस्सों में सरकार की बहुचर्चित बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना भी इसी इतिश्री की बलिवेदी पर परवान हो रही है लेकिन हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला इससेएक ऐसी मिसाल बनकर उभर रहा है, जहां यह योजना पूरी तरह जमीन पर उतारी जा रही है।

550 घरों के नाम बेटियों के नाम पर

दरअसल प्रशासन द्वारा इसके लिए जिला के डी.एम. की कमान में एक टीम जनता को जागरूक करने में प्रयासरत है, जिसका असर भी देखने को मिल रहा है। इसी का परिणाम है कि जिला के दौलतपुर, चलेट और मावा कोहला में करीब 150 व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मावा कोहला गांव के 550 घरों के नाम बेटियों के नाम पर रखे गए हैं। इसके लिए बाकायदा दुकानों और घरों के बाहर बेटियों के स्लोगन के साथ बोर्ड और नेमप्लेट लगाई गई हैं। यही नहीं, इस योजना के तहत किसी भी क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाली बेटियों की तस्वीरों को उसके कार्य के उल्लेख के साथ जिले के महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाया जा रहा है। इसके लिए पूरा खर्च जिला प्रशासन वहन कर रहा है।

शिशु लिंगानुपात में कम आंका गया है ऊना

दरअसल जिला ऊना देश के उन 100 जिलों में शुमार है जहां शिशु लिंगानुपात काफी कम आंका गया था लेकिन अब शिशु लिंगानुपात को सुधारने में प्रशासन की यह पहल कामयाब होने की उम्मीद जगी है। डी.सी. ऊना राकेश प्रजापति ने लिंग अनुपात संतुलन को बेहतर करना और समानता स्थापित करना इस योजना के लिए प्रेरणास्रोत बताया है। उनका दावा है कि एक पंचायत से शुरू हुई यह योजना कुछ ही समय में जिले की सभी 234 पंचायतों में लागू की जाएगी।

हर तरफ हो रही पहल की प्रशंसा

बहरहाल प्रशासन की इस पहल का जिला में चौतरफा स्वागत हो रहा है। न सिर्फ इस अनूठी योजना की लोग खुले दिल से प्रशंसा कर रहे हैं बल्कि प्रेरित होकर खुद-ब-खुद इसे स्वीकार करने का दावा कर रहे हैं।

Vijay