चीन पहुंचेगी छेरिंग हर्बल टी की महक

Monday, Sep 03, 2018 - 07:07 PM (IST)

उदयपुर: शीतमरूस्थल स्पीति में सीवकथोर्न की पत्तियों से विकसित की गई छेरिंग हर्बल टी की महक विदेशों तक पहुंच गई और राज्य सरकार सोई रह गई। फ्रांस की एक संस्था ने इस चाय की पत्ती बनाने के नायाब फार्मूले को खरीदने की पेशकश तक कर डाली लेकिन प्रदेश में शीतमरूस्थल के बेमिसाल उत्पाद को अपने देश में कभी प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है। जानकारी के अनुसार सीवकथोर्न की पत्तियों से तैयार की गई छेरिंग हर्बल टी की महक कई देशों के साथ अब शीघ्र ही चीन तक पहुंचेगी। टूरिस्ट वीजा पर धर्मशाला आ रहे चीन के एक शिष्टमंडल ने ट्रैवल एजैंसियों के माध्यम से स्पीति में हर्बल टी निर्माता मशहूर आमची छेरिंग टशी से संपर्क किया है। आगामी नवम्बर या दिसम्बर में चीनी शिष्टमंडल के धर्मशाला आने की संभावना जताई गई है। धर्मशाला से ड्रैगन दल हर्बल टी के सैंपल चीन ले जाएगा। मध्यस्थता कर रही ट्रैवल एजैंसियों ने उन्हें सूचना दी है कि आगामी सर्दियों के दौरान चीन का दल धर्मशाला आएगा, उन्हें सैंपल के लिए चाय की पत्ती बनाने का ऑर्डर दिया गया है।


यह बेहतरीन उत्पाद कई देशों में पसंद किया गया
इससे पहले शीतमरूस्थल का यह बेहतरीन उत्पाद कई देशों में पसंद किया गया है। आमची छेरिंग टशी का कहना है कि सीवकथोर्न की पत्तियों से चाय की पत्ती बनाने का फार्मूला केवल उन्हीं के पास मौजूद है। पुरखों से विरासत में मिले इस फार्मूले को फ्रांस की एक संस्था ने खरीदने की पेशकश की है, जिसे ठुकरा दिया गया है। वह फार्मूले को किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं हैं। छेरिंग हर्बल टी का कई साल पहले पेटैंट करवाया गया है। आयुर्वैदिक गुणों के अनुकूल प्रमाणित की गई उनकी चाय को कई देश पहले ही पसंद कर चुके हैं, प्रदेश में इस बेहतरीन उत्पाद को अभी पहचान नहीं मिली है।


गर्म पेय के साथ-साथ छेरिंग हर्बल टी कई बीमारियों की रामबाण औषधि
आमची की मानें तो ट्रांस हिमालय के ठंडे पठारों में कुदरती तौर पर पैदा होने वाले सीवकथोर्न की पत्तियों से चाय पत्ती बनाने का फार्मूला केवल उन्हीं के पास सुरक्षित है। विश्व में ऐसा कोई शख्स अथवा उद्योग नहीं है जो सटीक मिश्रण पर सीवकथोर्न की पत्तियों से हर्बल टी बना सके। गर्म पेय के साथ-साथ छेरिंग हर्बल टी कई बीमारियों की रामबाण दवाई बताई गई है। बता दें कि आमची छेरिंग टशी स्पीति में वही वैद्य हैं जिन्होंने पुस्तैनी चिकित्सा पद्धति पर आधारित ट्रांस हिमालय के बर्फीले रेगिस्तानों में मिलने वाली जड़ी-बूटियों से बनाई दवाइयों से कैंसर के कई रोगियों को रोगमुक्त करने का दावा किया है।

Kuldeep