दहकते अंगारों पर हंसकर नाचे लोग, ऐसे हुई अग्निपरीक्षा

Monday, Jan 23, 2017 - 12:08 PM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर अरोड़ा) : कुल्लू घाटी अपनी देव परम्परा एवं अनोखी संस्कृति के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। यहां आज भी परम्पराएं उसी तरह से निभायी जाती है। जैसे सिदयों पहले निभायी जाती थी । यहां के सभी त्यौहार तथा संस्कृति देव परम्परा से जुड़ी हैं जिसके चलते देव आस्था आज भी सर्वोपरि है। बता दें कि ऐसी ही एक देव परम्परा है सदियाला। यह वह परम्परा है जिसमे स्थानिया लोग आग के अंगारो पर नृत्या कर देवता को अपनी भक्ति का प्रमाण देते है। इसी परम्परा के तहत कल देर रात कुल्लू के दोहरानाला के दूर दराज में स्थित भाखली गांव में देवता आदि ब्रह्मा को समर्पित त्यौहार सदियाला मनाया गया।

आग के नागारो पर नृत्य
सदियाला की विशेषता है इसमें दी जाने वाली अश्लील गालियां और आग के नागारों पर नृत्या । देवभूमि में देव पर परम्परा अनुसार पोष और माघ माह में होने वाले सदयाला में लोग रात  के समय मशालों के प्रकाश में वाद्य यंत्रों सहित गांव की परिक्रमा करते हैं और एक स्थान पर एकत्रित होकर एक दूसरे को अश्लील गालियां देते हैं। जिसके बाद  मुख्या स्थान पर आग जलाकर नृत्य किया जाता है और जब अंगारे बन जाते है तब सभी नृत्य करने वाले उन अंगारों पर नाचते है। यह सब असुरी शक्तियों को भगाने के लिए किया जाता है। अंगारों पर नृत्य एक दुसरे का हाथ पकड़कर सर में पटका बांध कर नंगे पांव किया जाता है। ऐसा माना जाता है की इस दौरान अगर किसी का हाथ छुट जाए तो उस व्यक्ति के लिए आने वाला समय कष्टकारी होता है या उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। पुरुष और युवा महिलाओं की उपस्थ्तिति में अश्लील गालियां भी देते है। इस नृत्या मे महिलाओं का शामिल होना मना है महिलाएं केवल नृत्या को देख सकती है और अश्लील गालियों को सुनती हैं।

हैरानी की बात है कि जितने भी लोग आग के अंगारों पर नृत्य करते हैं उनके पांव में छाले तक नहीं पड़ते। मान्यता है की यदि नृत्य कर रहे किसी व्यक्ति के मन में कपट हो तो आंगारों पर नाचने के बाद उसके पांव में छाले आ जाते हैं। स्थानीय लोगों को देवता आदि ब्रह्मा की शक्ति पर अटूट विश्वास है। यही कारण है की बर्फबारी हो या भारी बारिश इस परम्परा को हर हालत में मनाया जाता है।