46 साल बाद भी नहीं मिला हक, अब भी जंग लड़ रहा देश का रखवाला

Thursday, Jun 01, 2017 - 09:47 PM (IST)

बड़ूही: देश के लिए अपने प्राणों तक की आहुति देने वाले सैनिकों के कल्याण के लिए सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं। सैनिकों और पूर्व सैनिकों के लिए कल्याण बोर्ड तक गठित किए गए हैं बावजूद इसके पूर्व सैनिक अपने हकों के लिए लालफीताशाही के शिकार हो रहे हैं। ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत टकारला के 76 वर्षीय पूर्व सैनिक रामआसरा शर्मा का सामने आया है। पूर्व सैनिक ने बताया कि सरकार की ओर से वर्ष 1971 की जंग के बाद उपहार स्वरूप मिली जमीन ऐसी लालफीताशाही की शिकार हुई कि आज 4 दशकों से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी नहीं मिल पाई है। 

टूटती जा रही है जमीन मिलने की उम्मीद 
पूर्व सैनिक की अब लगभग इस जमीन के मिलने की उम्मीद भी टूटती जा रही है। पूर्व सैनिक ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि वर्ष 1971 की जंग के बाद सरकार ने उन्हें खसरा नंबर 3202 व 2853 के तहत तकरीबन 82 कनाल ग्रेजिंग लैंड देने की अधिसूचना जारी की, जिस पर तत्कालीन जिलाधीश कांगड़ा को आदेश दिए क्योंकि तब यह कांगड़ा का ही हिस्सा था जिस पर तत्कालीन नायब तहसीलदार अम्ब ने अपनी रिपोर्ट भी दी थी लेकिन 46 सालों के उपरांत आज तक उन्हें यह जमीन नहीं मिल पाई है।

थक-हार कर पी.एम.ओ. भेजी जानकारी
पूर्व सैनिक ने बताया कि थक-हार कर हर महकमे से पत्राचार के बाद मायूस होकर नवम्बर माह में इस बारे सारी जानकारी पी.एम.ओ. लिखकर भेजी। पी.एम.ओ. ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 10 दिन के भीतर जवाब देते हुए सूचित किया कि इस मामले में आगामी आदेश दिए गए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने सचिव जन शिकायत निवारण समिति शिमला को इस पर कार्रवाई के आदेश दिए, जिसकी कापी पूर्व सैनिक को भी भेजी गई। सचिव जन शिकायत समिति ने इस पर कार्रवाई करते हुए डी.सी. ऊना को कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए लेकिन हुआ कुछ नहीं। 

प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश किए दरकिनार
एक बार फिर पूर्व सैनिक ने सारा मामला प्रधानमंत्री कार्यालय के ध्यान में लाया जिस पर  फरवरी माह में फिर प्रधानमंत्री कार्यालय ने सचिव जन शिकायत निवारण समिति को पत्र लिख कर आदेश दिए कि शिकायत पर 15 दिनों के भीतर कार्रवाई की जाए और इससे पी.एम.ओ. और प्रार्थी दोनों को अवगत करवाया जाए। सचिव ने फिर यही आदेश डी.सी. ऊना और कांगड़ा को भेज कर 15 दिनों में जवाबदेही को कहा लेकिन क्या बिडंबना थी कि आज तक प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेशों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

लालफीताशाही का शिकार हुए आदेश
46 वर्षों से पूर्व सैनिक जिस लालफीताशाही का शिकार था, प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश भी शायद उसके शिकार हो गए हैं। अब तो उपहार में मिली जमीन के मिलने की पूर्व सैनिक की आस भी धुंधली होती जा रही है। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी राजेश मारिया ने कहा कि मामला मेरे ध्यान में नहीं है। मीडिया द्वारा मामला ध्यान में लाया गया है। संबंधित विभाग से जवाबतलबी की जाएगी कि क्यों देरी हुई है। 

मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा मामला : कर्नल धर्मेंद्र पटियाल
पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक मेजर रघुबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिक का मामला मीडिया द्वारा ध्यान में लाया गया है। विभाग पूर्व सैनिक की पूरी मदद करेगा और जिलाधीश कार्यालय सहित अन्य जगहों पर पूर्व सैनिक की पैरवी की जाएगी। हिमाचल प्रदेश पूर्व सैनिक विभाग के चेयरमैन रि. कर्नल धर्मेंद्र पटियाल ने कहा कि सैनिकों और युद्ध सैनिकों का सम्मान होना चाहिए। दुखद है कि एक पूर्व सैनिक वर्षों से इसके लिए लड़ रहा और किसी ने मदद नहीं की। मैं प्राथमिकता के आधार पर मुख्यमंत्री के समक्ष न केवल यह मामला रखूंगा बल्कि हल भी करवाऊंगा और पूर्व सैनिक को न्याय दिलवाया जाएगा।