हिमाचल में जल संकट से बिगड़े हालात, 50-75 फीसदी तक गिरा जल स्तर

Monday, May 28, 2018 - 11:13 AM (IST)

शिमला: प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है फिर भी सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य महकमा हालात नियंत्रण में बता रहा है। आई.पी.एच. को पानी की कमी केवल नालागढ़, नाहनऔर अर्की के चंद गांवों में नजर आ रही है लेकिन एयर कंडीशनर दफ्तरों में बैठने वाली अफसरशाही यह नहीं देख पा रहे कि इंसान के साथ-साथ उनके पालतू मवेशी भी पानी को तरस रहे हैं। जाहिर है कि या तो आई.पी.एच. महकमा अपनी पीठ थपथपाने के लिए सरकार को गलत जानकारी दे रहा है या फिर विभाग सच्चाई का सामना नहीं करना चाहता।

6 से 10 दिन बाद पानी मिल पा रहा
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीते शुक्रवार को ही आई.पी.एच. महकमे की रिव्यू बैठक लेकर नए हैंडपंप स्थापित करने और टैंकर भरकर लोगों को पानी देने के निर्देश दिए थे। सी.एम. के आदेशों का रियलिटी टैस्ट जब शिमला शहर में किया गया तो पता चला कि यहां पर आई.पी.एच. महकमे ने मात्र तीन टैंकर चलाए हैं। पानी की कमी से शिमला में लोगों का सब्र का बांध टूट गया है। पानी के लिए लोगों ने रविवार को चक्का जाम और डिप्टी मेयर का घेराव तक कर डाला है। शिमला के ज्यादातर क्षेत्रों में लोगों को 6 से 10 दिन बाद पानी मिल पा रहा है।

50 से 75 फीसदी तक जल स्तर गिरा
जब प्रदेश की राजधानी शिमला में इस तरह से पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है तो हिमाचल के 56 अन्य शहरों तथा 3226 पंचायतों में पेयजल की कमी का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। चिंता इस बात की है कि कुछ इलाकों में अब ढोने के लिए भी नदी-नालों में पानी नहीं बचा है। आई.पी.एच. महकमा भी यह मान रहा है कि ज्यादातर स्कीमों में 50 से 75 फीसदी तक जल स्तर गिरा है लेकिन विभाग यह मानने को तैयार नहीं कि कुछ योजनाएं पूरी तरह से सूख गई हैं। जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश की 9300 स्कीमों से 20 फीसदी योजनाएं पूरी तरह से हांफ चुकी है।
 

kirti