PICS: प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस अनोखे शिकारी मंदिर में जाने पर लगाया प्रतिबंध

Friday, Nov 17, 2017 - 03:58 PM (IST)

गोहर: प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस ऊंचे पहाड़ी इलाके में अनोखे शिकारी देवी मंदिर में जाने पर प्रतिबंध लग गया है। शिकारी देवी हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी है। यह पहाड़ी इलाका अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा रोमांचक भी है। बर्फबारी की आशंका के चलते मंदिर में बिना अनुमति जाने पर प्रशासन ने 15 नवंबर से 15 अप्रैल तक माता के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन का कहना है कि इस अवधि के दौरान माता के मंदिर को जाने वाले रास्ते बर्फबारी के चलते जम जाते हैं और कोई भी श्रद्धालु मंदिर की तरफ न जाएं।


15 नवंबर से 15 अप्रैल तक मंदिर की ओर जान पर प्रतिबंध
जानकारी अनुसार इस अवधि के दौरान मंदिर में कोई भी पुजारी व कर्मचारी भी मौजूद नहीं होते हैं और वहां ठहरने का भी कोई प्रबंध नहीं है। जंजैहली के एस.डी.एम. अश्वनी कुमार ने कहा है कि 15 नवंबर से 15 अप्रैल तक शिकारी माता मंदिर की ओर जान पर प्रतिबंध लगा दिया है और कोई व्यक्ति वहां जाने का जोखिम न लें। बता दें कि 2 साल पहले यहां 2 इंजीनियरिंग के छात्र भारी बर्फबारी में मार्ग भटक गए थे और 4 दिन बाद उनके शव जानवरों द्वारा नोचे जाने के बाद जंगल से मिले थे, जिसके लिए प्रशासन को एक बड़ा रैस्क्यू आप्रेशन चलाना पड़ा था। लिहाजा इस बार एहतियातन ऐसा निर्णय लेना पड़ा है।  


गौसदन में जल्द पशुचारा उपलब्ध करवाएं
माता शिकारी गौसदन ढीम कटारू की बैठक वीरवार को एस.डी.एम. जंजैहली अश्विनी कुमार की अध्यक्षता में हुई। बैठक के दौरान एस.डी.एम. ने पंचायत प्रतिनिधियों को निर्देश दिए कि वे खराब मौसम को देखते हुए गौसदन में जल्द पशुचारा उपलब्ध करवाएं। इसके अलावा एस.डी.एम. ने सराज खंड विकास अधिकारी जंजैहली को चिन्हित गौसदन की भूमि के प्रपत्रों को तैयार न करने व इसमें लापरवाही बरतने के लिए लताड़ भी लगाई। 


यह है मंदिर का रहस्य
शिकारी माता एक अनोखा मंदिर है। जिसका निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था। इस मंदिर में देवी की मूर्ति की स्थापना खुले आकाश के नीचे की गई है यानि यह मंदिर बगैर छत का बना हुआ है। यहा के लोगों के अनुसार इस मंदिर में अनेकों बार छत लगाने का प्रयास किया गया परन्तु माता की शक्ति के प्रभाव से इस मंदिर के छत का निर्माण कभी नहीं हुआ। हर बार छत के निर्माण को लेकर कई बाधाएं आई परन्तु मंदिर के छत के निर्माण का कार्य कभी पूरा नहीं हो सका। मान्यता है कि पांडवों द्वारा माता के मंदिर का निर्माण बगैर छत के ही हुआ था तथा उन्होंने मंदिर में माता की मूर्ति खुले स्थान में स्थापित की थी जिस कारण माता अब खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती है। शिकारी माता का यह मंदिर चौहार घाटी में एक उच्चे शिखर पर 2850 मीटर की ऊंचाई में स्थित है।