इस बार चुनावों में इन दिग्गजों के अरमानों पर फिर सकता है पानी

Sunday, Apr 16, 2017 - 09:35 AM (IST)

शिमला: राज्य की पहली नगर निगम शिमला में इस बार मेयर यानी शहर के प्रथम नागरिक की कुर्सी अनुसूचित जाति (एस.सी.) के लिए आरक्षित रखी गई है। एस.सी. वर्ग के लिए यह आरक्षण पहले अढ़ाई साल के लिए होगा जबकि उसके बाद का आधा कार्यकाल अनुसूचित जनजाति (एस.टी.) वर्ग के लिए होगा। हालांकि शहर के सभी 34 वार्डों में से कोई भी वार्ड एस.टी. के लिए आरक्षित नहीं है। ऐसे में यदि किसी सीट से कोई एस.टी. उम्मीदवार पार्षद निर्वाचित होता है तो उसे मेयर पद मिलने की संभावना है। ऐसा न होने की स्थिति में एस.सी. वर्ग के पास ही मेयर की कुर्सी पूरे कार्यकाल यानी 5 साल रह सकती है। 


सोहन लाल और जैनी प्रेम चुनाव मैदान में उतरने को तैयार
मेयर का पद एस.सी. के लिए आरक्षित होने से पूर्व में नगर निगम के मेयर रहे सोहन लाल और जैनी प्रेम चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। सोहन लाल एस.सी. वर्ग के लिए आरक्षित कृष्णानगर और जैनी प्रेम महिला के लिए आरक्षित अनाडेल वार्ड से चुनाव मैदान में कूदने को तैयार हैं। नगर निगम में 50 फीसदी वार्ड यानी 17 महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इसे देखते हुए कई दिग्गज जो फिर से पार्षद बनकर मेयर या डिप्टी मेयर बनना चाहते थे, उनके अरमानों पर पानी फिर गया है। पूर्व पार्षद प्रदीप कश्यप भी इस बार मेयर की कुर्सी के लिए दाव खेलना चाहते थे लेकिन उनका अनाडेल वार्ड महिला के लिए आरक्षित है। इस स्थिति में उनको अपना अरमान पूरा करने के लिए किसी दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ने का जोखिम उठाना पड़ेगा। पूर्व में मेयर रहे नरेंद्र कटारिया और मधु सूद के फिर से मेयर बनने की संभावना खत्म हो गई है। 


कइयों की राह में आड़े आ रहा जातीय आरक्षण
नरेंद्र कटारिया का बैनमोर वार्ड महिला के लिए आरक्षित है। इसी तरह मधु सूद का कनलोग वार्ड भले ही महिला के लिए आरक्षित है लेकिन मेयर पद एस.सी. के लिए आरक्षित होने से उनकी चुनाव लड़ने की संभावना कम लग रही है। मौजूदा मेयर संजय चौहान व डिप्टी मेयर जो पिछली बार सीधे चुनाव लड़कर जीते थे, उनके वार्ड स्तर से चुनाव लड़ने की संभावना कम नजर आ रही है। जातीय समीकरणों में फंसी नगर निगम शिमला में सबसे अधिक कड़ा मुकाबला डिप्टी मेयर के लिए होगा। इसके तहत ऐसे दिग्गज जो मेयर पद के दावेदार थे, उनकी लड़ाई अब डिप्टी मेयर के लिए होगी। वर्ष, 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डों के आरक्षित होने की जो तस्वीर सामने आई है, उसके आधार पर कांग्रेस, भाजपा व माकपा समर्थित प्रत्याशी अभी से चुनावी रणनीति बनाने में लगे हैं। कई पार्षद व चुनाव लड़ने के इच्छुक पार्टी कार्यकर्त्ता दूसरे वार्ड से भिड़ने के विकल्प तलाश रहे हैं। इसमें सबसे अधिक समस्या पुरुषों को आ रही है क्योंकि महिला के साथ जातीय आरक्षण कइयों की राह में आड़े आ रहा है।


50 प्रतिशत आरक्षण के चलते महिलाएं भी उतरेंगी चुनाव में
नगर निगम चुनाव में आरक्षण के चलते कई दिग्गजों के अरमानों पर इस बार पानी फिर सकता है। निगम के वार्डों की संख्या 25 से बढ़कर अब 34 हो गई है, जिनमें से 17 वार्डों में 50 प्रतिशत आरक्षण के चलते महिलाएं चुनावी मैदान में उतरेंगी जबकि 5 वार्ड रिजर्व होंगे, जिसके कारण मौजूदा पार्षदों के दोबारा चुनाव लड़ने के सपने अधूरे नजर आ रहे हैं। कई पार्षद तो ऐसे हैं जो इन दिनों वार्ड में काफी सक्रिय हो गए हैं क्योंकि दोबारा से चुनाव लडऩे की इच्छा जाग उठी है लेकिन विडंबना यह है कि जो मौजूदा पार्षद दोबारा से चुनाव लड़ना चाहते हैं, उनके वार्ड या तो महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे या फिर अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व होंगे। इससे इन दिग्गजों को चुनाव लड़ने के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। कई पार्षद ऐसे भी हैं जो लगातार 2-3 कार्यकाल से निगम पार्षद चुनकर आ रहे हैं। खास बात यह है कि इन पार्षदों का वोट बैंक पक्का है लेकिन अब की बार आरक्षण के चलते इन पार्षदों का चुनावी गणित बिगड़ता नजर आ रहा है। 


इन दिग्गजों के अरमानों पर फिर सकता है पानी
मौजूदा समय में छोटा शिमला से लगातार 2 बार पार्षद रहे सुरेंद्र चौहान का इस बार चुनाव लड़ने का सपना अधूरा रह सकता है। यहां से विकासनगर वार्ड अनूसूचित जाति के लिए तथा छोटा शिमला महिला के लिए आरक्षित हो सकता है जबकि इस बार भी इनका चुनाव लडऩे का पूरा इरादा था, वहीं चम्यिाणा से मौजूदा पार्षद नरेंद्र ठाकुर के शांति बिहार वार्ड और भट्टाकुफर वार्ड दोनों ही महिलाओं के लिए रिजर्व हो सकते हैं जबकि इंजनघर वार्ड से पार्षद सुशांत कपरेट का वार्ड भी महिला के लिए आरक्षित हो सकता है, जिससे इनका भी दोबारा चुनाव लडऩे का सपना टूट सकता है। 


मनोज कुठियाला का दोबारा चुनाव लड़ने का सपना टूटता नजर आ रहा 
इसके अलावा निगम के पूर्व पार्षद रहे प्रदीप कश्यप का अनाडेल वार्ड महिला के लिए आरक्षित रह सकता है, जिससे यह भी चुनावी दौड़ से बाहर हो सकते हैं जबकि इनका चुनाव प्रचार भी शुरू हो गया है। नाभा से मौजूदा पार्षद शशि शेखर भी आरक्षण के चलते चुनावी रेस से बाहर हो सकते हैं, वहीं जाखू वार्ड से लगातार 2 बार पार्षद रहे मनोज कुठियाला का दोबारा चुनाव लड़ने का सपना इस बार टूटता नजर आ रहा है। जाखू भी महिला के लिए आरक्षित हो सकता है। इसके अलावा बैनमोर वार्ड से मौजूदा पार्षद अनूप वैद्य के अरमानों पर भी पानी फिर सकता है, यहां पर भी महिला उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। पटयोग से पार्षद दीपक रोहाल के वार्ड के डीलिमिटेशन होने के कारण 3 वार्ड न्यू शिमला व कंगनाधार हो गए हैं, जहां से पटयोग महिला रिजर्व हो सकता है जबकि न्यू शिमला सामान्य व कंगनाधार भी महिला के लिए आरक्षित हो सकता है। ऐसे में दीपक रोहाल भी अपने वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।