Tourists के लिए किसी जन्नत से कम नहीं यह छोटा सा गांव, प्रकृति को नजदीक से कर सकेंगे महसूस

Friday, Dec 06, 2019 - 11:43 AM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर) : हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की बंजार घाटी प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसी है। इस घाटी में बसा एक छोटा सा गांव जीभी भी विदेशी और बाहरी राज्यों के पर्यटकों को आकर्षित करता है। सैलानियों से हमेशा गुलजार रहने वाले हिमाचल के छोटे से कस्बे बंजार से जंगल और खेतों के बीच बसे जीभी गांव तक पहुंचकर उसकी सुंदरता को देखना अब हर पर्यटक की पसंद बनता जा रहा है। हालांकि पहले की बात करें तो यहां गिने-चुने घर ही थे, लेकिन आज पर्यटन ने यहां के लोगों के चेहरे पर मुस्कराहट बिखेर दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुराने जमाने के दौरान जीभी गांव में ब्रिटिश रूट केवल मिट्टी और पत्थर से बना हुआ था। 

औट से शिमला तक फैला यह ओल्ड ब्रिटिश रूट आज एक शानदार ट्रेकिंग एवं बाइकिंग रूट बन चुका है। ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों ने हर 16 किलोमीटर पर आलीशान गेस्ट हाउस बनवाए। जिनके अवशेष आज भी बीते दिनों की याद ताजा कर देते हैं। यहां आसमान को चूमते घने देवदार वृक्ष, पहाड़ी पक्षियों के मनमोहक सुर, पत्तों से छन कर जमीन पर गिरती कोमल धूप और महकते हुए रंगीन जंगली फूल इस घने जंगल में खुशनुमा वातावरण का निर्माण करते हैं। पक्षी-प्रेमियों के लिए यह नेशनल पार्क किसी स्वर्ग लोक से कम नहीं है। दिलचस्प बात ये है कि यहां पहाड़ी पक्षियों की लगभग 181 प्रजातियां पाई जाती हैं। 

अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं, तो भी जीभी गांव आपको हिमालयन नेशनल पार्क तक ट्रेकिंग करने और यहां के इको-जोन में स्थित गांवों में रहने की अनुमति लेकर अपना शौक पूरा कर सकते हैं।  रंगथर टॉप, रोला जलप्रपात और शिल्ट हट ट्रेक इस पार्क के कुछ उम्दा ट्रेक्स हैं। बंजार टाउन के पास गुशैनी, सैंज तथा पेरख्री जैसे गांवों से आपको ट्रेकिंग के लिए गाइड भी मिल जाएंगे। फलों के बगीचे और जंगल के बीच में स्थित पहाड़ी घरों से होते हुए जीभी जलप्रपात तक पहुंचने का रास्ता गुजरता है। मिट्टी और पत्थरों से बने इस रास्ते पर चलने के लिए अच्छी ग्रिप वाले जूते पहन कर जाना चाहिए। इस जलप्रपात के धुआंधार बहते जल को सतरंगी आभा देते हुए दो इंद्रधनुष सृजित होते हैं। सुनहरी सुबह में सूर्य की कोमल किरणों से बने इंद्रधनुषों की यह जोड़ी यहां आने वाले पर्यटकों को उल्लास से भर देती है। जीभी गांव की सैर के दौरान इस कुदरती करिश्मे का आनंद लेने हजारों सैलानी आते हैं।

2014 तक जीभी के साथ लगते शोजा गांव को ज्यादा लोग नहीं जानते थे। इसकी जानकारी हिमाचलवासियों और कुछ ट्रेकर्स को ही थी। जीभी एवं जलोड़ी पास की लोकप्रियता बढ़ते ही लोग शोजा गांव को भी जानने लगे। शोजा गांव जीभी से करीब सात किलोमीटर दूर स्थित है। जलोड़ी पास की गोद में बसे इस गांव से सूर्यास्त का मनोरम नजारा देखने के लिए यात्री यहां पर रात में रुकना पसंद करते हैं। इस घाटी के कुछ गांवों तक केवल ट्रेकिंग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, लेकिन अगर आप बाइक और गाड़ी लेकर भी तीर्थन के कुछ बेहद सुंदर गांवों में कैंपिंग का स्थान या गेस्ट हाउस ढूंढ़ सकते हैं। जीभी गांव में कैंपिंग अलग तरह का आनंद देती है।

फाइव स्टार होटल छोड़कर यहां टैंट में रहने का रोमांच किसी सपने के पूरे होने से कम नहीं है। जीभी और शोजा में अनगिनत कैंप साइट्स हैं। स्थानीय लोगों ने भी अपने घरों के दरवाजे पहाड़ी जीवनशैली का अनुभव लेने और कैंपिंग के लिए यात्रियों के स्वागत में खोल रखे हैं। यह 'होम स्टे' एक तरह से पहाड़ी परिवारों से मिलने-जुलने और उनकी संस्कृति को समझने का मौका भी देता है। साथ ही यहां आपको स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी आपके सफर को और सुहाना बना देगा। 

पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि बंजार घाटी का जीभी गांव ऐसा पर्यटक स्थल हैं, जो पर्यटकों को काफी भा रहा है। उनकी मानें तो प्रशासन और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि पर्यटकों को सुविधा मिल सके ओर पर्यटकों के आने से व्यपारियों को भी फायदा मिले। वहीं उपमंडल बंजार की जीभी खड्ड ट्राउट आखेट के लिए जानी जाती है। इसलिए काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। अगर राज्य सरकार बंजार घाटी पर नजर-ए-इनायत करे तो यहां के युवाओं के लिए काफी रोजगार के द्वार खुल सकते हैं। 

Edited By

Simpy Khanna