जिसे देखकर कांप जाती है सबकी रूह, 400 सांपों को पकड़ चुका है यह शख्स (PICS)

Wednesday, May 29, 2019 - 05:33 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप): आमतौर पर सांप को देखकर उससे डरना और पत्थरों से वार करना इंसान की आदत सी बन गई है। इसी से कई बार सांप डरकर इंसानी तौर पर हमला भी कर देता है। लेकिन कुल्लू में एक शख्स ऐसा भी है जो सांपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित स्थानों तक ले जाता है। इससे सांपों की कई प्रजाति महफूज भी रही है। अब तक भुंतर के खोखन से संबंध रखने वाला सोनू ठाकुर 400 सांपों को पकड़ चुका है। इनमें से कई तो जहरीले भी थे। हालांकि शुरू में सोनू सांपों को पकड़कर लोगों का बचाव करते थे लेकिन बाद में यह इनका शौक भी बन गया है। अब कुल्लू सहित भुंतर शहर में जहां भी सांप निकलते हैं तो वे सपेरे को न बुलाकर सोनू ठाकुर को बुलाते हैं। वे सांप की प्रकृति को भांपते ही उन्हें अपने नंगे हाथों से पकड़ लेते हैं। 

इसमें वे किसी भी तरह के हथियार का प्रयोग नहीं करते। ताकि सांपों को तनिक भी खरोंच न लगे। सांप भी उनके हाथ की कठपुतली बन जाते हैं। सोनू की फेसबुक कई सांपों की प्रजातियों से भरा पड़ा है। उसने महज 15 साल की उम्र में ही सांप को पकड़ने का आगाज किया था। बकौल सोनू जब वे अपने खेत में काम कर रहे थे तो उन्हें वहां दो सांप मिले। सांप पकड़ने के बाद उन्होंने सांपों को गुफा के डाल दिया। इनके जोश, जुनून और जज्बे के बाद सांपों को पकड़ने का सिलसिला शुरू हुआ। सोनू की जिंदगी में कई ऐसे मोड़ भी आए जब कई सांपों को पकड़ने में उन्हें दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। उनके इस जुनूनी कदम की हर जगह तारीफों के कसीदे गढ़े जाते हैं। कई परिवार इनका आभार भी प्रकट करते हैं।


अपनी लेखनी के बूते समाज के सजग प्रहरी बने सोनू ठाकुर को चंदरोज पूर्व रोटरी क्लब कुल्लू की ओर से उपायुक्त कुल्लू युनस ने सम्मानित भी किया है। उन्होंने उसकी तारीफ करते हुए कहा कि इससे समाज में जागरूकता आएगी और लोगों की सांपों के प्रति नकारात्मक सोच भी परिपक्व होगी। साथ ही इस पुनीत कार्य के बूते सांपों की नस्लें भी सुरक्षित होगी। एक मीडिया ग्रुप ने भी सोनू को हिमाचल का एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा है। अन्य कई सामाजिक संस्थाएं भी सोनू ठाकुर को सम्मानित करने वाली है।

नागों को लेकर एक तल्ख सच्चाई यह भी

पश्चिमी हिमालय से निकलने वाली ब्यास, रावी, सतलुज, चिनाव व गंगा आदि नदियों की उत्पत्ति नागों से हुई है। इनके नाम पर आज भी उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर व हिमाचल में कई नाग वन, सरोवर व झीलें हैं। हिमाचल के नाग वनों पर कभी भी कुल्हाड़ी नहीं चलती है। इससे पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलता है। इनमें तक्षकनाग, छमाहूं नाग, माहुटी नाग, कालिया नाग, रूद्रनाग, शिरघन नाग, पीउंली नाग, धूमल नाग, बाहुडुनाग, सिराज का चंभू नाग, दलाश का कंढेड़ी नाग, श्रीगढ़ का कंढ़ा नाग, बूढ़ी नागिन, नूरपुर की नागणी सौह आदि प्रमुख हैं। इनमें रामपुर बुशहर के नौ नाग, मंडी का मांहुनाग शिमला व सिरमौर के नाग देवता भी शुमार हैं, जो हिमाचल में नाग देवता मौजूद होने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।

Ekta