ये इटली का सेब जल्द बनेगा हिमाचल वासियों की शान,जानिए क्यों

Monday, May 21, 2018 - 08:51 AM (IST)

शिमला : इटली से सेब के पौधों की खेप जल्द प्रदेश में पहुंच जाएगी। राज्य सरकार ने सेब की विभिन्न किस्मों के तीन लाख 76 हजार पौधे आयात का ऑर्डर इटली को दे रखा है। विदेशी पौधों की खेप समुद्री रास्ते से दो लॉट में मुंबई बंदरगाह पर पहुंचेगी।

बागवानों को एक साल का इंतजार करना होगा
पहले लॉट में सेब के पौधों से लदे 10 कंटेनर सप्ताह भर में पहुंच जाएंगे, जबकि दूसरे लॉट में 8 कंटेनर में पौधे तीन सप्ताह बाद मुंबई पहुंचेगे। यहां पर इनकी जांच करवाई जाएगी। सभी पौधे पूरी तरह स्वस्थ होने पर इन्हें हिमाचल लाया जाएगा। प्रदेश में यह पौधे एक साल तक बागवानी विभाग की नर्सरियों में विशेषज्ञ की देखरेख में रहेंगे। इनके लिए बागवानों को एक साल का इंतजार करना होगा। सूचना के मुताबिक सरकार ने इटली से शैलेट स्पर, चेलान स्पर, किंग रौट, जेरोमाइन, रेड विलोक्स, सुपर चीफ, स्कारलेट स्पर-2, बक आइ गाला, गाला सचनिगा स्कीनि, डार्क बेरोन गाला, ओविल अर्ली यूजी और गालावल किस्में मंगवाई हैं। आयात किए जा रहे सभी पौधे एमला-111 रूट स्टाक और एमला-9 रूट स्टाक पर तैयार हैं।

इन पौधों की खरीद पर 10 करोड़ से ज्यादा
बागवानी विभाग इन पौधों को लगाने के लिए अपनी नर्सरियां तैयार कर चुका है। इनकी सिंचाई के लिए खास इंतजाम किए गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा पौधों को जीवित रखा जा सके। इन पौधों की खरीद विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित 1134 करोड़ रुपए के बागवानी विकास प्रोजैक्ट के तहत की जा रही है। इससे पहले राज्य सरकार ने इनकी खरीद के लिए ग्लोबल टैंडर आमंत्रित किए थे। इन पौधों की खरीद पर 10 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा रही है। बागवानी अधिकारियों का दावा है कि एक-दो साल तक ही सेब की विभिन्न किस्मेंआयात की जाएंगी। अब विभाग और नौणी यूनिवॢसटी के पास बड बुड बैंक, जर्म प्लाजम, रूॅट स्टाक और सेब की अन्य किस्मेंहो जाएंगी।

यह पौधे केवल क्लस्टर वाले बागवानों को दिए जाएंगे
इसके बाद विभाग और यूनिवर्सिटी मिलकर इन्हें मल्टीप्लाई करेंगे, ताकि भविष्य में सेब के पौधे आयात करने की जरूरत न पड़े। बागवानी मंत्री ने भी इसे लेकर विभाग और यूनिवॢसटी को सख्त हिदायत दे रखी है। आयातित पौधे एक साल तक बागवानी विशेषज्ञ की देखरेख में रहेंगे। इस दौरान देखा जाएगा कि कहीं इनमें किसी तरह का कोई संक्रमण तो नहीं है? पी.ई.क्यू. यानि पोस्ट एंट्री क्वारनटाइन की शर्तों के मुताबिक एक साल से पहले यह पौधे बागवानों को भी नहीं दिए जा सकते। पी.ई.क्यू. अवधि के बाद रिपोर्ट सही पाए जाने पर ही ये पौधे बावगानों को दिए जाएंगे। यह पौधे केवल क्लस्टर वाले बागवानों को दिए जाएंगे। बागवानी विभाग ने प्रदेशभर में करीब 1500 कलस्टर बना रखे हैं। इनमें ही बागवानी विकास प्रोजैक्ट की गतिविधियां चलाई जा रही हैं।

नीदरलैंड से आयात किए जा रहे 4000 अखरोट के पौधे
राज्य सरकार ने नीदरलैंड से अखरोट के4000 पौधे मंगवा रखे हैं। अखरोट के पौधे हवाई मार्ग से मंगवाए गए हैं, चूंकि सेब की तुलना में अखरोट का पौधा ज्यादा नाजुक होता है। अखरोट में चांदलर और होवार्ड दो किस्में मंगवाई गई हैं। अखरोट के पौधे दो सप्ताह के भीतर हिमाचल पहुंच जाएंगे। इन्हें भी एक साल तक पी.ई.क्यू. शर्तों के मुताबिक बागवानी विशेषज्ञ की देखरेख में रखा जाएगा। एक साल बाद यह पौधे बागवानों को दिए जाएंगे।

kirti