ये लोक निर्माण विभाग है जनाब! यहां कोई कार्रवाई नहीं जितना मर्जी करो काम खराब

Wednesday, Aug 22, 2018 - 01:07 PM (IST)

धर्मशाला: बरसात ने लोक निर्माण विभाग की पोल खोल कर रख दी है। बरसात में सड़कों की खस्ताहाल की जितनी जिम्मेदार वर्षा नहीं, जितना विभाग खुद है। जिला भर की सड़कों की हालत पर जब रिपोर्ट ली गई तो एक तथ्य सामने आया कि जिला भर में सड़कों के किनारे 70 फीदसी नालियां या तो भर चुकी हैं या उनका नामोनिशान मिट चुका है। नतीजा पानी सड़कों पर और व्यापक तबाही। ऐसा भी नहीं है कि यह नालियां बने बरसों हो गए हैं। कोई 3 साल पहले बनी तो कोई 5 साल पहले। कहीं तो इन नालियों का नामोनिशान तक नहीं। तकनीकी अधिकारियों की मानें तो सड़कों की खस्ताहालत व बरसात में सड़कों का बह जाना सड़कों के साथ बनाई हुई नालियों को माना जा रहा है। नालियां सड़क के स्तर के मुताबिक नहीं बनाई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि चुनावों से ठीक पहले जिला के कई इलाकों में जोरों शोरों से कंकरीट की नालियां बनाई गईं जिसमें करोड़ों रुपए लगाए लेकिन पहली बारिश में ही उक्त करोड़ों रुपए की बनी हुई नालियों में न जाकर पानी सड़क किनारे जमीन को नाली बनाकर निकल रहा है।


जब कार्रवाई नहीं तो फिर असर नहीं
अब बात ऐसी अव्यवस्था फैलने की तो अधिकांश लोगों का मानना है कि यहां जैसा मर्जी काम कर दो सब चलेगा। कितना सीमैंट कितना रेता, क्या रखरखाव? सब कुछ चल रहा है। हैरानी इस बात की भी है कि पूर्व में भी यह विभाग मुख्यमंत्री के पास था और इस बार भी मुख्यमंत्री के पास है, ऐसे में सवाल यह भी हो रहा है कि अगर गलत पर कार्रवाई नहीं तो फिर गलत काम बढ़ता ही जाएगा। हालांकि विभाग कहता है कि गलत काम करने पर ठेकेदार से भरपाई की जाती है और गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है लेकिन कारवाई और गुणवत्ता की असली तस्वीर सम्पर्क सड़कों की हालत देखकर देखी जा सकती है।

मिट्टी डालना कोई हल नहीं
लोगों का यह भी सवाल है कि अक्सर विभाग ने जगह-जगह विभागीय कर्मचारी तैनात कर रखे हैं। जो शाम तक मिट्टी डालते हैं और दूसरी शाम को फिर सड़क वैसी ही हो जाती है। यानी उनके वेतन के रूप में जनता का कितना पैसा व्यर्थ होता है। विभागीय कर्मचारियों की कार्यप्रणाली देखने की बात है तो उसे किसी को बताने की जरूरत नहीं। जनता सब जानती है। इससे साफ है कि उनसे न ढंग से काम लिया जाता है न चैक किया जाता है। जनता को तकलीफ इसलिए क्योंकि पैसा जनता का है।

10 हजार का काम 10 लाख में क्यों?
लोगों का कहना है कि इस बरसात में टूटी सड़कें अगली बरसात तक ठीक नहीं की जातीं तथा तब तक उनके बारे नहीं सोचा जाता जब तक पूरी तरह रास्ता बंद न हो जाए। यानी कुल मिलाकर यहां 10 हजार से छोटे नुक्सान की भरपाई हो सकती है वहां बड़ा नुक्सान होने पर 10 लाख तक की भरपाई करनी पड़ती है, ऐसे में आप बजट की कमी की बात कैसे कर सकते हैं। जबकि 10 हजार में काम होने वाला होता है तो उसे 10 लाख में करवाते हो। जनता यह तब पूछ रही क्योंकि पैसा जनता का है। होशियारपुर-धर्मशाला, पठानकोट मंडी नैशनल हाईवे पर पिछले बरसात में गिरे ढंगे इस बरसात तक ठीक नहीं हो पाए। नतीजा यह है अब यहां ज्यादा खतरा बना हुआ है।

जनता के सवाल
जनता का सवाल है कि विभाग में कई टैक्रीकल कर्मचारी लाखों रुपए वेतन लेते हैं। फिर कैसे पास हो जाती हैं बिना नाली की सड़कें। क्यों मलबे से भरी नालियों को बरसात से पहले ठीक नहीं किया जाता। क्यों नहीं होती घटिया सामग्री से नालियां बनाने वालों पर कार्रवाई। लोगों ने मांग की है कि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो जाए तो सारा काम चकाचक हो जाए वरना यह कम गुणवत्ता के ये काम होते रहेंगे और जनता का पैसा यूं ही पानी में बहता रहेगा।

यहां नालियां थीं फिर भी सड़क का यह हाल
डाडासीबा व जसवां तहसील के कई इलाकों में सोमवार रात को हुई भारी बारिश ने तबाही मचा दी। लगातार मूसलाधार बारिश का पानी नालियों की सीमाओं को तोड़कर सड़कों-गलियों से बहता हुआ लोगों के घरों में पहुंच गया। भयंकर बरसात से पानी ने जहां अधिकांश सड़कों को तहस-नहस कर दिया, वहीं  ज्यादातर गांव मुख्य सड़क से पूरी तरह से कट गए। टैरस-डाडासीबा-ढलियारा मुख्य सड़क मार्ग पर यातायात बारिश के कारण पूर्णत: बाधित रहा, जिसे विभाग ने दोपहर बाद कड़ी मशक्कत के बाद बहाल करने में कामयाबी प्राप्त की। यहां मुख्य सड़क पर गांव बढलठोर में तेज बरसाती पानी के कारण लगभग 200 मीटर सड़क बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और सड़क पर बड़े-बड़े गहरे गड्ढे बन गए। हालांकि यहां भी नालियां बनी थीं लेकिन फिर भी पानी सड़क पर बहा और सड़क तोड़ गया। 

खड्ड बनी बन्ने दी हट्टी-सियूल सड़क
जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सड़क बन्ने दी हट्टी से सियूल वाया बठरा लग सड़क मार्ग खड्ड में तब्दील हो गया है। सोमवार रात को हुई आफत की बरसात लगभग 7 दुर्गम गावों के लिए बनाए गए इस सड़क मार्ग को निगल गई। लग सवाणता व गुराला गावों में बड़े पैमाने पर भूमि कटाव हुआ है। गांव गुराला में पी.डब्ल्यू.डी. विभाग की सड़क टूटने से हरवंश लाल का रिहायशी मकान मलबे के नीचे आ गया।

Ekta