ये पुल है मौत का रास्ता, जान जोखिम में डाल सफर कर रहे लोग (Video)

Sunday, Jul 29, 2018 - 10:10 AM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): जान जोखिम में डालकर लोग दरिया पर बने जर्जर झूला पुल को पार कर रहे हैं। हालांकि बी.बी.एम.बी. ने चेतावनी बोर्ड लगाकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। झूला पुल को दोनों तरफ से लोहे के एंगल लगाकर बंद कर दिया गया है तथा उस पर साफ तौर पर लिखा गया है कि यह पुल असुरक्षित है और इसका प्रयोग पूर्णतय: वर्जित है। बी.बी.एम.बी. किसी भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं है। हिंदी व पंजाबी और अंग्रेजी में चेतावनी लिखकर बोर्ड ने इतिश्री कर ली है। अब वह ग्रामीण और स्कूली बच्चे क्या करें जिन्हें मजबूरी में रोज इधर से उधर आना जाना पड़ता है। 


सतलुज दरिया पर भाखड़ा बांध और नंगल डैम के मध्य बनी झील में हंडोला (ऊना जिला) और नैहला (बिलासपुर जिला) में यह झूला पुल बना हुआ है। 50 दशक पहले जब इस पुल का निर्माण हुआ था तब इसका उद्देश्य भाखड़ा बांध को रेत और बजरी ले जाना था। अधिकतर मैटीरियल इसी झूला पुल के जरिए गया था। सही रखरखाव न होने की वजह से यह बुरी तरह से जर्जर हो चुका है। इसकी सर्विस वायर बुरी तरह से सड़ गल चुकी है तो फट्टे भी गल सड़कर किसी दुर्घटना को न्यौता दे रहे हैं। 


पिछले साल यहां बैसाखी के जब यहां के धार्मिक स्थल ब्रह्महुति में मेला लगा था तो लोग इसी से आर पार आ जा रहे थे। अचानक इस पुल की क्षतिग्रस्त सर्विस वायर टूट गई और झूला पुल लटक गया। 5 लोग दरिया में गिरे जिन्हें रैस्क्यू के जरिए स्थानीय लोगों ने बचा लिया। उसके बाद से ही इस झूला पुल को बंद कर दिया गया है। चेतावनी बोर्ड लगा दिए गए हैं। हालांकि बाद में बी.बी.एम.बी. ने झूला पुल की एक सर्विस वायर को बदल दिया। एक तरफ लटके झूला पुल को सीधा कर दिया और कुछ फट्टे भी सही कर दिए गए। हालांकि पूरा ढांचा वैसे का वैसे ही मौजूद है जिस पर कोई निर्णय अभी तक नहीं हुआ है। 


ऊना जिला की तरफ से दरिया के पार गांव नैहला में मौजूद सीनियर सैकेंडरी स्कूल में पढऩे वाले छात्रों की तादाद 150 से 200 के बीच है। जगातखाना, हंडोला और स्वामीपुर बाग सहित कई अन्य क्षेत्रों के बच्चे 6ठी कक्षा से लेकर 12वीं तक नैहला में पढ़ने के लिए जाते हैं और उनके आवागमन का महज यही झूला पुल एकमात्र साधन है। इसके अतिरिक्त न तो कोई दूसरा विकल्प है और न ही कोई अन्य रास्ता मौजूद है। यदि इन्हें घूमकर कुछ सौ मीटर की दूरी पर जाने के लिए मैहतपुर व नंगल का रास्ता अख्तियार करना पड़े तो यह करीब 20 किलोमीटर एक साइड पड़ेगा। 


स्थानीय निवासी अंजलि, अनीता देवी, प्रिंस व रमेश कुमार ने कहा कि वह जान जोखिम में डालकर झूला पुल पार करते हैं। मामला उठाया गया तो कुछ हद तक फट्टों की मुरम्मत तो कर दी गई लेकिन अभी भी हालत बदतर है। उनके पास खतरे मोल लेने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। पहले भी यहां हादसे हो चुके हैं। यदि पुल न पार करें तो करीब 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है। यहां से आर पार जाने के लिए यही पुल एकमात्र उनके लिए साधन है। खतरा है लेकिन हल भी कोई नहीं है।

Ekta