93 साल के इस शख्स ने 34 साल में लड़े 16 इलैक्शन, लोग आज भी करते हैं याद

Thursday, Apr 11, 2019 - 02:51 PM (IST)

कुल्लू (शंभू प्रकाश): 93 साल के इस शख्स ने अपनी 34 साल में 16 इलैक्शन लड़े। जीता भले ही एक भी इलैक्शन न हो लेकिन लोग आज भी इस वयोवृद्ध नेता को याद करते हैं। जिला कुल्लू की ये एक ऐसी शख्सियत बने जिन्होंने गरीबों की लड़ाई लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डा. वाई.एस. परमार से विशाल हिमाचल मूवमैंट के दौरान हुई इनकी दोस्ती के बाद इन्होंने कई बार आंदोलन में हिस्सा लिया। हम बात कर रहे हैं लगघाटी के भुट्टी गांव के नवल ठाकुर (93) की। उन्होंने कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े। चुनावी रण में हर बार बतौर आजाद प्रत्याशी ही उतरे। 1967 में नवल ठाकुर महज 323 मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव हारे थे। कैबिनेट मंत्री लाल चंद प्रार्थी ने उस दौर में जीत दर्ज की थी। 1962 में भी नवल ठाकुर ने विधानसभा चुनाव लड़ा और लाल चंद प्रार्थी से हार गए। वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी लोकसभा चुनाव लड़े और हार गए लेकिन चुनावी रण में वह मत हासिल करने वालों में दूसरे नंबर पर रहे। नवल ठाकुर एक ऐसी शख्सियत रहे हैं जो गरीब मजदूरों की लड़ाई लड़ने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।  

जब दिन में जलती मशाल लेकर पहुंचे डी.सी. के द्वार

नवल ठाकुर के उस आंदोलन को लोग आज भी याद करते हैं जब 1964 में वह दिन-दिहाड़े जलती हुई मशाल लेकर डी.सी. के दफ्तर में पहुंचे थे। घाटी में मजदूरों को कई महीनों के बाद भी जब तनख्वाह नहीं मिली तो मजदूरों ने नवल ठाकुर को अपनी स्थिति से अवगत करवाया। इसके बाद वह मजदूरों को साथ लेकर ढालपुर पहुंचे और मशाल जलाकर डी.सी. दफ्तर परिसर में आ धमके। जब तत्कालीन डी.सी. सहित अन्य अधिकारियों ने उनसे दिन में मशाल जलाने की वजह पूछी तो उन्होंने तर्क दिया कि सरकार व प्रशासन को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार और प्रशासन के लिए दिन में भी अंधेरा छाया हुआ है। उस अंधेरे को हटाने के लिए ही मशाल जलाई गई है ताकि मजदूरों की हालत को प्रशासन देख सके। उसके बाद मजदूरों को उनका मेहनताना मिला था।

जनता का भरपूर साथ मुझे मिला

डा. वाई.एस. परमार के साथ विशाल हिमाचल मूवमैंट में रहे नवल ठाकुर कहते हैं कि पार्टी उस दौर में मुझे टिकट देना चाहती थी। कुछ लोगों को यह बात भीतर ही भीतर खाए जा रही थी कि यदि मुझे टिकट मिल गया तो मैं भारी मतों के अंतर से जीतूंगा। इसलिए टिकट छीनकर मुझे बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लडऩे के लिए विवश किया और फिर भी जनता ने मेरा भरपूर साथ दिया। जनता का आशीर्वाद मेरे साथ रहा है। 

अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से कभी न कतराना यही जीवन का मूल मंत्र 

वर्ष 2000 के दशक के शुरूआती दौर में नवल ठाकुर ने अंतिम चुनाव लड़ा और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। वह कहते हैं कि कभी भी गरीब व आम लोगों की लड़ाई लडऩे से पीछे नहीं हटना चाहिए। हालात चाहे जैसे भी हों, परिस्थितियां जैसी भी हों लेकिन अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से कभी कतराना नहीं चाहिए। नवल ठाकुर कहते हैं कि यही मेरे जीवन का मूल मंत्र है। 

12 विधानसभा और 4 लोकसभा चुनाव लड़े

नवल ठाकुर ने पहली बार 1957 में विधानसभा चुनाव लड़ा। अंतिम चुनाव उन्होंने 1991 में लड़ा। उसके बाद नवल ठाकुर कांग्रेस में शामिल हुए। नवल ठाकुर ने कुल 12 विधानसभा और 4 लोकसभा चुनाव लड़े। हालांकि नवल ठाकुर एक भी चुनाव जीत नहीं पाए लेकिन महासू सीट से 1967 के लोकसभा चुनाव में वीरभद्र चुनाव जीते और नवल ठाकुर दूसरे नंबर पर रहे। 

मीलों कर चुके पैदल सफर 

नवल ठाकुर ने जब से चुनाव लड़ना शुरू किया उस दौर में बेहतरीन सड़कें नहीं हुआ करती थीं। मेन सड़क पर भी बसें और वाहन आदि की इतनी ज्यादा सुविधा नहीं होती थी। ऐसे में नवल ठाकुर भी लोगों से मिलने के लिए पैदल ही सफर करते थे। मीलों पैदल चलकर लोगों के पास पहुंचते और कई बार जनसभाओं व कार्यक्रमों तक भी पैदल ही पहुंच जात थे। यही कारण है कि नवल ठाकुर 93 वर्ष की उम्र में भी फिट हैं। हालांकि इन दिनों ज्यादातर घर पर ही रहते हैं लेकिन घर व बगीचे में चलना-फिरना उनकी दिनचर्या में शामिल है। 

जब कुल्लू में राशन डिपो खुलवाए

1957 में कुल्लू में भयंकर सूखा पड़ा था। खेतों में फसल नहीं हो पा रही थी। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के काफिले को नवल ठाकुर ने शमशी में रोक दिया था। मुख्यमंत्री को नवल खेतों में लेकर गए और भयंकर सूखे की जद्द में आए खेत-खलिहान दिखाए। उसी समय मुख्यमंत्री ने कुल्लू में सस्ते अनाज के डिपो खोलने के आदेश दिए थे।

Ekta