ये 8 प्रत्याशी 28,000 से अधिक वोट लेने के बाद भी हारे चुनाव

Thursday, Dec 21, 2017 - 09:31 AM (IST)

सोलन: हिमाचल प्रदेश में 8 प्रत्याशियों को 28,000 से अधिक वोट मिलने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा जबकि करीब 21 प्रत्याशी 28,000 से कम वोट लेने के बावजूद चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। इस बार विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे। हारे हुए प्रत्याशियों ने भी इतनी बड़ी मात्रा में वोट लेने का रिकार्ड बना दिया है। इस बार हारे हुए प्रत्याशियों में सबसे अधिक वोट लेने का रिकार्ड कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री रहे जी.एस. बाली के नाम रहा। उन्हें नगरोटा बगवां से 31,039 वोट मिलने के बावजूद हार का मुंह देखना पड़ा जबकि पिछले चुनाव में 23,626 वोट मिलने के बावजूद वह चुनाव जीत गए थे। 

कुल्लू निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी महेश्वर सिंह
कुल्लू निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी महेश्वर सिंह 29,815 वोट मिलने के बाद भी हार गए हैं। पिछले चुनाव की तुलना में उन्हें करीब 9,000 वोट अधिक मिले हैं। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में 18,582 वोट लेने के बाद भी वह चुनाव जीत गए थे। ज्वाली से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र कुमार 28,756 वोट लेने के बावजूद चुनाव हार गए जबकि वर्ष 2012 में इसी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी  23,798 वोट मिलने के बावजूद चुनाव जीत गए थे। 

नादौन से भाजपा प्रत्याशी विजय अग्रिहोत्री
नादौन से भाजपा प्रत्याशी विजय अग्रिहोत्री को इस बार 28,631 वोट मिलने के बावजूद हार ही नसीब हुई। हालांकि पिछले चुनाव की तुलना में उन्हें करीब 3,000 वोट कम मिले हैं। अर्की निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रत्न सिंह पाल रिकार्ड 28,448 वोट लेने के बावजूद चुनाव हार गए जबकि पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गोविन्द राम शर्मा 17,211 वोट लेने के बावजूद चुनाव जीत गए थे। नूरपुर से पिछले चुनाव में 26,546 वोट लेकर चुनाव जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अजय महाजन इस बार 28,229 वोट लेकर भी चुनाव हार गए। इस बार ऊना से भाजपा प्रत्याशी सतपाल सिंह सत्ती 28,164 वोट लेने के बावजूद चुनाव हार गए जबकि पिछले बार 26,835 वोट लेकर ही चुनाव जीत गए थे। 

इंदौरा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी कमल किशोर 
इंदौरा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी कमल किशोर को 28,118 वोट लेने पर हार मिली जबकि पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी 21,424 वोट लेने पर ही चुनाव जीत गए थे। इस बार के विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों के इतनी अधिक मात्रा में वोट लेने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में आमने-सामने के मुकाबले हुए हैं। इसके अलावा जहां मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, वहीं पिछले वर्ष की तुलना में मतदान भी अधिक हुआ है।