यहां पशुओं को बांधने की है मनाही,मुसाफिरों को देनी पड़ती है खाद्य सामग्री

Monday, Oct 15, 2018 - 09:35 AM (IST)

कुल्लू : विश्व प्राचीनतम गांव मलाणा में अनोखी परंपरा और रीति-रिवाज आज भी निभाए जाते हैं। भले ही कुल्लू घाटी के कई इलाकों में विभिन्न देव परंपराएं हैं लेकिन मलाणा गांव में अभी तक देव नियम पूरी तरह कायम हैं। देव नियमों का हारियान सर्वप्रथम पालन करते आ रहे हैं। यहां एक अद्भुत परंपरा है कि मलाणा के लोग घरों, दोघरे और गांव के किसी भी कोने तक पशुओं को रस्सी या फिर अन्य चीज से नहीं बांधते हैं।

देव नियमानुसार करीब 20 किलोमीटर की दूरी तक पशुओं को बांधने की सख्त मनाही है। इस देव नियम का पालन न करने पर देवता कठोर दंड देता है। खास बात यह है कि यहां मुसाफिरों को खाद्य सामग्री देनी पड़ती है। यहां अन्नपूर्णा भंडार के पास सादो व्रत खुला रहता है। मौहड यानी देवता का स्थान जहां साधु-संतों सहित कोई मुसाफिर आए तो वह खुद खाना परोस सकता है। खाने की सामग्री मलाणावासियों द्वारा दी जाती है। मान्यता है कि यदि किसी मुसाफिर को भोजन सामग्री नहीं दी जाती है तो देवता पूरे कारकूनों को दंडित करता है। मलाणावासियों मोती राम, हरि राम, भागी राम व दिले राम आदि ने कहा कि गांव में देव कार्य प्राचीन समय से देवता जम्दग्रि ऋषि के आदेशों के अनुसार तय किए जाते हैं।

kirti