हिमाचल में हर साल टीबी के आते हैं इतने नए मामले, पढ़िए खबर

Monday, Nov 12, 2018 - 02:42 PM (IST)

धर्मशाला (नरेश) : हिमाचल में हर साल टीबी के 15 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। लगभग 8 हजार से 9 हजार टीबी रोगी निजी चिकित्सा क्षेत्र में इलाज करवा रहे हैं। यह संख्या भी बहुत अधिक है। यह जानकारी क्षय रोग की रोकथाम व मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना से संबंधित जानकारियां निजी अस्पतालों के डाक्टरों के साथ साझा करने के लिए डीसी कार्यालय धर्मशाला के सभागार में हुई कार्यशाला में सामने आई। कार्यशाला में यह जानकारी भी दी गई कि पूर्व सरकार के समय में क्षय रोग निवारण योजना के तहत हिमाचल 2 करोड़ रुपए स्वीकृत करने वाला देश का पहला राज्य है। यही नहीं राज्य टीबी रोगियों के लिए एफडीसी एवं प्रतिदिन खुराक आरंभ करने में भी हिमाचल प्रथम स्थान हासिल किया। इसमें 7 हजार से भी ज्यादा रोगियों को प्रतिदिन खुराक प्रदान की जा रही है। 

सरकार को टी.बी. रोगियों की सूचना नहीं देने पर निजी चिकित्सकों पर होगी कार्रवाई
यदि कोई निजी चिकित्सक टीबी से संबंधित रोगियों की जानकारी विभाग को मुहैया नहीं करवाता है तो उसमें सजा का भी प्रावधान है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए एसडीएम धर्मशाला धर्मेश रामौत्रा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2021 तक टीबी रोगमुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए मुख्यमंत्री क्षय रोग नियंत्रण योजना को लागू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए निजी अस्पताल भी अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। प्रदेश सरकार ने इसके लिए 2 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इसके लिए डोर-टू-डोर कार्यक्रम के तहत हर घर-द्वार पर जाकर टीबी के रोगियों को खोजा जाएगा और उनका इलाज भी होगा।

निजी अस्पताल प्रबंधन तुरंत करें क्षय रोगियों का पंजीकरण 
सीएमओ कांगड़ा डा. रविंद्र सिंह राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि 2017 में जिला कांगड़ा में टीबी के 3173 मामले सामने आए थे जिसमें 246 मामले प्राईवेट अस्पतालों से सामने आए है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल प्रबंधन अपने वहां आने वाले क्षय रोगियों को तुरंत क्षेत्रीय अस्पताल में भी पंजीकृत करवाएं, ताकि जिले में क्षय रोगियों की सही संख्या का पता चल सके। 

Jinesh Kumar