देवभूमि में आज भी मौजूद हैं द्वापर युग के कई प्रमाण

Sunday, Jun 24, 2018 - 10:42 PM (IST)

कुल्लू: देवभूमि हिमाचल में सतयुग, द्वापर और त्रेता युग के कई प्रमाण आज भी मौजूद हैं। ऋषि-मुनियों की चहलकदमी और उनकी तपोस्थली के रूप में कई जगहें हैं जहां हजारों वर्ष पूर्व कठोर तप हुए हैं। तप की शक्तियों के प्रमाण कहीं जलधारा के रूप में हैं तो कहीं उलटे पेड़ों के रूप में हैं। कहीं उस दौर के कौतूहल पैदा करने वाले कार्य विशाल मैदानों के रूप में मौजूद हैं। मैदान भी ऐसे कि जिनमें कंकड़ पत्थर का एक छोटा सा टुकड़ा न मिले। शांघड़ मैदान इसका प्रमाण है। कहते हैं इस मैदान की मिट्टी पांडवों ने छानी है।


वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाला
देव स्थलों, पत्थरों और पहाड़ों आदि कई जगहों में ऐसे कई पद चिन्ह देखने को मिलते हैं जो हजारों वर्ष पूर्व हुए योद्धाओं के हैं, ऐसे प्रमाण मिलने पर हर व्यक्ति चमत्कारिक शक्तियों को मानने पर विवश हो जाता है। भले ही आज के वैज्ञानकि युग में ज्यादातर लोग चमत्कारिक शक्तियों को कतई मानने को तैयार नहीं होते हैं लेकिन देव धरा हिमाचल में ऐसे अनेक प्रत्यक्ष प्रमाण मिले हैं जिन्होंने वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है। द्वापर युग के समय जब पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान देवभूमि कुल्लू-मनाली का रुख किया, उस समय के आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण मिलते हैं।


मनाली में आकर ठहरी थी मनु महाराज की नाव
कुल्लू जिला में कई स्थान ऐसे हैं जहां दैवीय शक्तियों के प्रमाण मिलते हैं। चैहणी स्थित शृंगा ऋषि वह ऋषि हैं जिन्हें त्रेता युग में ऋष्य शृंंग के नाम से जाना जाता है। ऋष्य शृंग ने ही राजा दशरथ के घर में पुत्रेष्टि यज्ञ किया था और उस यज्ञ से उत्पन्न खीर को खाने से देवी कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी ने पुत्रों को जन्म दिया। इसके बाद ही श्रीराम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न का जन्म हुआ। ऐसे ही कुल्लू में मनु महाराज मौजूद हैं। जब सृष्टि डूब रही थी तब अनाज, बीज और अन्य जरूरी वस्तुओं की पोटली लेकर आए मनु महाराज की नाव मनाली में ही आकर ठहरी थी। उसके बाद वहीं से मानव सभ्यता का उद्गम हुआ।


भीम ने जहां मारी थी कोहनी उस छेद से दिखता है चिनाब का पानी
मनाली के समीप जगतसुख से सटे भनारा के साथ लगते क्षेत्र में अर्जुन गुफा इसका प्रमाण है। माना जाता है कि जब पांडव मनाली होते हुए जनजातीय क्षेत्र पांंगी से सटे फीडरू नामक स्थान पर पहुंचे तो रास्ते में माता कुंती को प्यास लगी। माता कुंती ने महाबलशाली भीम को पानी लाने के लिए कहा लेकिन दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान नहीं था। जब भीम पानी को तलाशने के लिए विफल रहे तो क्रोध में उन्होंने जोर से पैर जमीन पर मारा जिससे धरा फट गई और जलधारा फूट पड़ी लेकिन माता कुंती ने इस पानी को पीने से इंकार कर दिया। जिस पर भीम ने फिर अपने हाथ की कोहनी से पहाड़ पर प्रहार किया और चिनाब नदी का पानी ऊपर आ गया। पानी निकलने पर माता कुंती ने प्यास बुझाई। जिस स्थान पर भीम ने पानी निकाला है यह स्थान फागी से करीब 10 किलोमीटर पीछे है। इसे भीम पैर नामक स्थान से जाना जाता है। यहां पर आज भी भीम के पैर के चिन्ह मौजूद हैं। कहते हैं कि जहां पर भीम ने जोर से कोहनी से प्रहार किया था वहां आज भी छेद है और उस छेद से चिनाब नदी का पानी साफ दिखाई देता है।

Vijay