चम्बा के पांगी में पूजा अर्चना के साथ जुकारू उत्सव शुरू

Friday, Feb 12, 2021 - 02:50 PM (IST)

पांगी(वीरू राणा)जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी में पूरे 12 दिनों तक जुकारू उत्सव की धूम रहेगी। शुक्रवार को विधिवत रूप से पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस उत्सव की शुरूआत हो गई है। अहम है कि लंबे समय से जुकारू उत्सव को मनाने की परंपरा पांगी घाटी के अलावा बाहरी राज्यों और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बसे पांगी घाटी के लोगों में इस उत्सव को लेकर खासा उत्साह रहता है। घाटी में मौसम के खुलने के बाद लोग एक-दूसरे घरों में जाकर उनका कुशलक्षेम पूछते हैं। शुक्रवार को घाटी के लोगों ने तड़के चार बजे घर के नजदीक के प्राकृतिक जल स्रोत से पानी भरा और परिवार के सदस्यों के साथ पूजा-अर्चना की। उत्सव की तैयारियां के रूप में घरों को लिपाई-पुताई का कार्य करते हैं, साथ ही बलि राज के चित्र अपने घरों में बनाते हैं। जुकारू का त्योहार समूची पांगी घाटी में एक जैसा मनाया जाता है।

इस त्योहार को घाटी की शान और प्राण मानना अतिशयोक्ति नहीं होगा। इसी त्योहार पर घाटी की परम्परा कायम है। जुकारू को तीन चरणों में मनाया जाता है। कई दिन पहले से लोग इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं घरों को सजाया जाता है। घर के अन्दर लिखावट के माध्यम से लोक शैली में अल्पनाएं रेखांकित की जाती हैं। पकवान विशेष मण्डे पकाए जाते हैं तथा अन्य सामान्य पकवान भी बनाए जाते हैं। सिल्ह की शाम को घर के मुखिया द्वारा भरेस (भंगड़ी) और आटे के बकरे बनाए जाते हैं। बकरे बनाते समय कोई भी किसी से बातचीत नहीं करता है। पूजा की सामग्री को एक अलग कमरे में ही रखा जाता है। रात्रिभोज के उपरांत गोवर की लिपाई जिसे चीका कहते हैं, की जाती है। गोमूत्र और गंगा जल छिड़का जाता है। गेहूं के आटे या जी के सत्तुओं से मण्डप लिखा जाता है। इसे भी चीका कहा जाता है।

मण्डप के ऊपर राजा बलि जिसे स्थानीय जन बलदानों कहते हैं, की आटे से बनी मूर्ति की स्थापना की जाती है। साथ ही आटे से बने बकरे, मेढ़े आदि मण्डप में तिनकों के सहारे रखे जाते हैं। मण्डप बनाने वाला राजा बलि की पूजा करता है, लेकिन घाटी के बहुत से घरों में यह परम्परा लुप्त होती जा रही है । सम्प्रति वही लोग इस परम्परा का निर्वाहन कर रहे हैं जिन्हें अपनी संस्कृति की जानकारी तथा उससे प्यार है। कुछ लोग घरों की भीतरी दीवारों में राजा बलदानों का चित्र चित्रित करके राजा बलि का पूजन करते हैं।

 

Content Writer

Kaku Chauhan