रेरा एक्ट पर राज्य की सुस्ती पड़ रही भारी

Monday, Oct 29, 2018 - 09:53 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र): केंद्र ने घर लेने के इच्छुक लोगों को फायदा देने के लिए 1 मई, 2016 को रियल एस्टेट रैगुलेशन एंड डिवैल्पमैंट एक्ट (रेरा) को संसद में पारित किया लेकिन राज्य सरकार इस दिशा में कछुआ गति से आगे बढ़ रही है। केंद्र द्वारा तय डैडलाइन से डेढ़ साल ज्यादा बीते जाने के बाद भी हिमाचल में रेरा अथॉरिटी का गठन नहीं हो सका। इस वजह से प्रोजैक्ट और एजैंटों के पंजीकरण में देरी हो रही है। पंजीकरण की फाइलें कई-कई दिनों से लटकी हुई हैं। बिल्डर मनमानी कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कई प्रोजैक्टों और एजैंटों का पंजीकरण बिना उचित जांच-परख के किया जा रहा है। बिल्डरों को भी कंप्लीशन सर्टीफिकेट लेने में दिक्कतें आ रही हैं।

हिमाचल में रेरा अथॉरिटी का काम बीते 10 माह से टैम्परेरी रैगुलेटर से करवाया जा रहा है। सरकार ने टी.सी.पी. निदेशक को इसकी शक्तियां दे रखी हैं जबकि सरकार को अप्रैल, 2017 तक इसका गठन करना था। टी.सी.पी. महकमे के पास इस वक्त 10 आवेदन प्रोजैक्टों तथा 11 आवेदन एजैंटों के पंजीकरण के लिए लंबित पड़े हैं। पंजीकरण न होने से कई प्रोजैक्टों पर काम शुरू नहीं हो पा रहा। प्रदेश में अभी तक 23 प्रोजैक्ट और 24 एजैंट ही रेरा एक्ट के तहत पंजीकृत किए जा सके हैं। सूत्र बताते हैं कि हिमुडा भी बिना पंजीकरण के कई प्रोजैक्टों के टैंडर कर रहा है जबकि हिमुडा को प्रोजैक्ट का पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। ऐसे में यदि रेरा अथॉरिटी का गठन कर लिया जाता है तो हिमुडा समेत अन्य बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगेगा।

उल्लेखनीय है कि केंद्र ने मई, 2016 में बिल्डरों पर अंकुश के मकसद से रेरा एक्ट बनाया और सभी राज्यों को रेरा अथॉरिटी का गठन करने तथा रूल्स बनाने को कहा गया। सरकार ने रूल्स तो बना लिए लेकिन अथॉरिटी का गठन करना सरकार भूल गई। स्थायी रैगुलेटर न होने के कारण एक्ट की मूल भावना पर काम नहीं हो रहा है और सैंट्रल एक्ट की वायलेशन हो रही है। इस एक्ट का मकसद बिल्डरों पर अंकुश लगाना और लोगों को सस्ते दाम पर आवास मुहैया करवाना है। रेरा एक्ट के तहत पंजीकृत बिल्डरों से ही अब लोग आवास खरीद सकेंगे। इसके तहत सभी प्रमोटर्स या बिल्डरों को विभाग के पास पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। पंजीकरण के बाद ही बिल्डर अपने फ्लैट लोगों को बेच पाएंगे। जनता को भी उन्हीं बिल्डरों से फ्लैट खरीदने होंगे जो रेरा के तहत पंजीकृत होंगे। गैर-पंजीकृत बिल्डरों से खरीदे गए फ्लैट वैध नहीं माने जाएंगे।

रेरा में चेयरमैन और सचिव की होनी है नियुक्ति
रेरा अथॉरिटी में चेयरमैन व सचिव के अलावा 3-4 सदस्य तैनात किए जाने हैं। सरकार ने इसके लिए आवेदन आमंत्रित कर लिए हैं। सरकार जल्द ही इनकी तैनाती कर देने के दावे कर रही है।

इन्हें करवाना होगा रेरा में पंजीकरण
जिन प्रोजैक्टों का एरिया 500 वर्ग मीटर या 8 अपार्टमैंट से ज्यादा होगा, उनका रजिस्ट्रेशन रेरा में करना जरूरी होगा। प्रोजैक्टों की मंजूरियां भी इसके माध्यम से लेनी होंगी। आवासीय प्रोजैक्टों के अलावा कमर्शियल प्रोजैक्टों को भी यह अथॉरिटी रैगुलेट करेगी। रैगुलेटरी अथॉरिटी की वैबसाइट पर रियल एस्टेट कारोबारियों के प्रोजैक्टों का प्लान, लैफ्ट आऊट, सरकारी अप्रूवल, प्रोजैक्ट लागत व पूरा करने का समय आदि सभी जानकारी मुहैया रहेगी।

Ekta