Watch Video: बेटे के इलाज को दर-दर की ठोकरें खा रही बूढ़ी विधवा मां

Sunday, Jun 25, 2017 - 10:58 AM (IST)

नाहन (सतीश शर्मा): नेताओं को जब वोट बटरोने होते हैं तो वह सबसे पहले गरीब जनता के पास पहुंचते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद यही नेता गरीबों का कितना ख्याल रखते हैं वो नाहन के मिश्रवाला की इस बुजुर्ग महिला को देख कर पता चल रहा है। ये महिला पिछले 10 सालों से अपने मानसिक रूप से बीमार बेटे के इलाज के लिए जंग लड़ रही है। लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली। महिला को उम्मीद है कि सरकार एक दिन उसकी तरफ जरूर ध्यान देगी। 


मात्र 1900 रुपए की पेंशन के सहारे अपना घर चलाती है विधवा पेंशन
विधवा महिला मात्र 1900 रुपए की पेंशन के सहारे अपना घर चलाती है। ये पेंशन भी 3-4 महीने बाद जाकर नसीब होती है। उसने बताया कि उसका बेटा पहले से ही मानसिक रूप से बीमार है लेकिन अब उसे कुछ महीने से खून की उल्टियां हो रही हैं और दस्त लगे हैं। लेकिन पैसे की लाचारी के चलते वह अपने जिगर के टुकड़े का इलाज करवाने में असमर्थ है। हैरानी इस बात की है कि वह बेटे के साथ टूटे-फूटे मकान में रह रही है। इस विधवा महिला के परिवार को बीपीएल सूचि में भी शामिल नहीं किया गया है जिससे किसी भी प्रकार की सरकारी मदद महिला को नहीं मिल पा रही है। वहीं विधायक राजीव बिंदल ने महिला की हर संभव सहायता करने की बात कही है। 


आखिर क्यों शकीला जैसे पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता
इस बारे में जब स्थानीय बीजेपी विधायक राजीव बिंदल से बात की गई। उन्होंने परिवार की हर संभव मदद की बात कही साथ ही इस बता पर भी हैरानी जताई कि परिवार का बीपीएल श्रेणी में चयन क्यों नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा की सरकार को भी ऐसे मामलों में सजग रहने की आवश्कयता है। वहीं हैरानी इस बात पर भी होती है कि आखिर क्यों शकीला जैसे पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है और क्यों सरकारी कर्मचारियों और अधिकारीयों की नजर से इस तरह के मामले कोसों दूर रहते हैं। कहीं न कहीं इस तरह के मामले सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं।