अरबों की संपत्ति के मालिक है कुल्लू के देवी-देवता, खजाने पर रहती है चोरों की नजर

Sunday, Oct 21, 2018 - 05:43 PM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर): अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में आए देवी-देवता जहां अपने भक्तों को आशीष दे रहे हैं, वहीं कुल्लू के देवी-देवता अरबों रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। देवी-देवताओं के पास दौलत का इतना बड़ा खजाना है कि जिसे वर्षों तक खर्च करने के बावजूद भी इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कई देवी-देवताओं के रथों में करोड़ों रुपए के आभूषण व मोहरे लगे हुए हैं। उनके खजाने के साथ ईमानदारी की मिसाल के तौर पर भी यहां कई पहलू है। हालांकि देवी-देवताओं के कारकून के पास मौजूद खजाने का खुलासा करने से हिचकिचाते हैं लेकिन देव रथों पर मौजूद सोने-चांदी से इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जाता है। 


कई देवी-देवताओं की संपत्ति में हर साल इजाफा भी हो रहा है। इस इजाफे के पीछे देवी-देवताओं को मिलने वाला चढ़ावा भी मुख्य कारण है। देवालय चोरों के निशाने पर होने के कारण भी देव कारकूनों को प्रशासन ने संपत्ति का जिक्र न करने की हिदायत दे रखी है लेकिन फिर भी देवी-देवताओं की संपत्ति किसी से छुपी नहीं है। मनाली की माता हडिम्बा, खराहल घाटी के आराध्य बिजली महादेव और आउटर सिराज के देवता खुडिजल संपत्ति के मामले में सबसे ऊपर है। इन देवताओं के पास आज भी कई बीघा जमीन है और सोने-चांदी के आभूषण भी काफी है। 


भूमि पर लगे सेब के बगीचों का हर साल देवता कमेटी द्वारा नीलामी की जाती है और उससे होने वाली आमदनी को देव कार्यो पर ही खर्च किया जाता है। जिससे हारियानों पर भी कोई बोझ नहीं पड़ता है। कुल्लू में चोरों ने दिसंबर, 2014 में अधिष्ठाता रघुनाथ जी को भी निशाना बना दिया था। रघुनाथ जी को भी चुरा कर चोर निकल गए थे। हालांकि वारदात के डेढ़ माह बाद रघुनाथ जी को ढूंढा जा सका। रघुनाथ जी की त्रेतायुग कालीन मूर्ति की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए है। वारदात के बाद सख्ती बढ़ जाने के कारण चोर इस बेशकीमती मूर्ति को बेच नहीं सके। वहीं देवता आदि ब्रह्मा, देवी पटंती व देवता शंगचूल महादेव सहित अन्य कई देवी-देवता भी बड़ी संपत्ति के स्वामी हैं। 

उत्सव में आए कई देवी-देवताओं की आगल (देव रथ को कंधे पर उठाने के लिए लगी लंबी मोटी स्टिक्स) भी चांदी की हैं। उनमें सोना भी लगा हुआ है। इसके अलावा कई देवी-देवताओं के मोहरे और छत्र भी सोने के हैं। मलाणा में देवता जमलू के खजाने में इतनी दौलत है कि जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। देवता के किसी कारज को निपटाने के लिए यदि धन की आवश्यकता हो तो मुख्य कारकून देव आदेश पर जाकर खजाने से इतना धन लाते हैं, जितना एक मुट्ठी में आए। इसमें सोना, चांदी या अन्य कुछ भी कीमती चीज हो सकती है। उसी से देवता के कारज को निपटाया जाता है।      

Ekta