12 साल में सेब की सबसे कम पैदावार, 1.50 करोड़ पेटी में सिमटेगा उत्पादन

Sunday, Oct 14, 2018 - 11:30 AM (IST)

शिमला : 4,200 करोड़ रुपए की सेब की आर्थिकी को उत्पादन में भारी गिरावट के कारण जोरदार झटका लगा है। सेब के अधीन क्षेत्र में बढ़ौतरी और उन्नत किस्में लगाने के बावजूद उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है। इस बार का सीजन अब खत्म होने की कगार पर है लेकिन अभी तक मात्र 1.39 करोड़ पेटी सेब ही देश की मंडियों को भेजा गया है। अब केवल 8,000 फुट सेअधिक ऊंचे क्षेत्रों से ही सेब मंडियों को जा रहा है। इस तरह सेब उत्पादन लगभग डेढ़ करोड़ पेटी में सिमटने का अनुमान है जोकि बीते 12 साल में सबसे कम सेब उत्पादन होगा।

प्रदेश में इससे पहले साल 2010 में सबसे ज्यादा 4.46 करोड़ पेटी सेब हुआ था, वहीं साल 2007 में सेब के अधीन 87,202 हैक्टेयर क्षेत्र होने के बावजूद 2.96 करोड़ पेटी सेब हुआ था। अब सेब की खेती 1,21,896 हैक्टेयर क्षेत्र में हो रही है। फिर भी सेब उत्पादन 2 करोड़ पेटी का आंकड़ा नहीं छू पा रहा है। हालांकि बागवानी विभाग ने फ्लावरिंग हो जाने के बाद 1.82 करोड़ पेटी सेब होने का अनुमान लगाया था। बागवानी विभाग की मानें तो खराब मौसम के कारण सेब के उत्पादन में गिरावट आई है। बीते साल सॢदयों में बहुत कम बर्फबारी हुई। इस वजह से गर्म इलाकों में चिलिंग पूरी नहीं हो पाई। मार्च व अप्रैल माह में फ्लावरिंग के दौरान अचानक मौसम खराब हुआ और ऊंचे क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण ठंड बढ़ गई, जिससे फ्लावरिंग पर बुरा असर पड़ा। इसके बाद फ्लावरिंग पर जमकर ओले पड़े।

ओलावृष्टि के कारण सेब की बची हुई फसल तबाह हो गई। आलम यह रहा कि भारी ओलावृष्टि के कारण कुछ इलाकों में तो एंटी हेल नैट भी क्षतिग्रस्त हो गए। सेब की सैटिंग के बाद मई व जून माह में भयंकर गर्मी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। जमीन में नमी सूख जाने की वजह से सेब का अच्छा आकार नहीं बन पाया। इस वजह से भी उत्पादन में कमी दर्ज की गई है। 
 

kirti