आग से दहक रहे कुल्लू के जंगल, गहरी नींद सोया वन विभाग

Tuesday, Dec 10, 2019 - 01:39 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप) : कुल्लू घाटी में अब जंगल दहकने लगे हैं। आग से अब तक करोड़ों की वन संपदा राख हो रही है, जबकि करोड़ों की संपति राख होने की कगार पर है। आग में सैकड़ों जीव-जंतु भी भेंट चढ़ चुके हैं। बावजूद इसके न तो वन विभाग आग पर काबू पा सका है और न ही पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। जंगलों की आग दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण कर रही है। घाटी में आजकल सूखा पड़ा हुआ है और कुछ लोग जंगलों व घासनियों में बेहतर घास की उम्मीद में जंगल में आग लगा देते हैं। 

आग से देवदार, चीड़, रई, तोश समेत अखरोट के सैकड़ों साल पुराने पेड़ स्वाह हो चुके हैं। कुल्लू, मनाली, बंजार, आनी के जंगलों में प्रतिदिन आग लग रही है। गत दिनों भी कुल्लू के जंगल में लगी आग लोगों के घास के कोठों और बगीचों नुकसान पंहुंचाते है। हालांकि वन विभाग ने जंगलों में अग्निकांड रोकने के लिए खंड स्तर पर कमेटियों का गठन किया है और ऐसे शरारती तत्वों पर एफआइआर करने का प्रावधान किया है लेकिन अभी तक वन विभाग की मुहिम सिरे नहीं चढ़ पाई है।

 जंगलों में आग लगने के कारण उठने वाला धुआं भी लोगों की सेहत खराब कर रहा है। इससे जलवायु प्रदूषण भी बढ़ने लगा है। जल्द जंगलों में लगने वाली आग को न रोका गया तो कई लोग सांस की बीमारी की गिरफ्त में आ सकते हैं।आग लगने से उठने वाले धुएं के कारण दमे के रोगियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है और ऐसे लोगों को दवा हमेशा साथ रखनी चाहिए। लकड़ी के जलने से पैदा होने वाले धुएं से फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और कमजोर फेफड़े वाले लोगों को ऐसे धुएं से बचना चाहिए।

वहीं गोपाल ने बताया कि वनों में आग लगना एक गंभीर समस्या है। हर साल अक्टूबर से दिसंबर माह तक जंगलों में आग लगने का सिलसिला जारी रहता है। उन्होंने कहा कि इसकी वन विभाग को पहले से ही तैयारियां करनी चाहिए और जंगल को आग से कैसे बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों को भी साथ जोड़कर इस पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार जंगलों को बचाने में लगी हुई है और दूसरी और कुछ शरातीतत्व वन संपदा संपदा को नुकसान पंहुचा रहें हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से अगर जंगल जलते रहे तो हमारा पर्यावरण भी खराब हो रहा है और पर्यावरण के साथ-साथ हमारे जीव-जंतु भी जंगलों में रहते हैं वह भी गांव की ओर जा रहे हैं आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आग लगने से बंदर भी गांव-गांव में आ चुके हैं। जिसके आतंकी से लोग भी काफी परेशानी उठा रहे हैं। आग लगने के बाद आग पर काबू पाना काफी कठिन होता है इसके लिए वन विभाग को समय से पहले जागना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जहां वन विभाग की भी जिम्मेदारी होती है। उससे ज्यादा ग्रामीणों की भी जिम्मेदारी इसमें बढ़ती है कि हम लोग भी वनों की रक्षा करें जिसे हमारी वन संपदा बची रहे।

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Simpy Khanna