यहां चट्टानों में लगे हैं देवता के पैर व हथेली के निशान

Monday, Feb 18, 2019 - 02:26 PM (IST)

कुल्लू (धनी राम): प्राचीन समय में देवी-देवताओं के तपोबल से चट्टानों पर पड़े निशान वर्तमान में लोगों को कौतूहल में भर देते हैं। देवभूमि कुल्लू के प्राचीन देव स्थलों में देवी-देवताओं के निशान होने से दैवीय शक्तियों का आभास होता है। जिला के तमाम देव स्थलों में ऐसे साक्षात प्रमाण मिलते हैं। जिला की सैंज घाटी स्थित बनोगी क्षेत्र के आराध्य देवता पुंडरिक ऋषि को प्राचीन समय में जेहर देवता ने ही विकट परिस्थितियों में बनोगी पहुंचाया था। देवलुओं की मानें तो बनोगी के आराध्य देवता पुंडरिक ऋषि पहले बाहरी सराज स्थित चायल के सराहण में वास करते थे। जब किसी कारण वश देवता देव स्थल को छोड़कर बनोगी क्षेत्र को रवाना हुए थे तो रास्ते में देवता जेहर ने पुंडरिक ऋषि को सहारा दिया था। 

देवता जेहर ने पीठ पर उठाकर अनेक वनों, पहाड़ों, नदी-नालों और बड़ी-बड़ी चट्टानों को पार किया था। माना जाता कि जब देवता बनोगी क्षेत्र के समीप सराहरी झील पहुंचे तो वहां बड़े-बड़े पत्थरों के ढेर लगे थे। देवता ने चट्टानों के ढेर को भी पार किया। देवता के तपोबल से वर्तमान में भी चट्टानों के ऊपर पैर व हथेली के निशान विद्यमान हैं। अब इस देव स्थान पर हर साल उत्सव और देव कार्य किए जाते हैं। देवता पुंडरिक ऋषि के कारदार लोतम राम कहते हैं कि जब प्राचीन समय में देवता पुंडरिक चायल सराहण से देवालय छोड़कर आए थे तो बशलेऊ जोत, बठाहड़, पलाहच व सराहरी झील होते हुए दलोगी पहुंचे थे और उसके बाद पुंडरिक बनोगी क्षेत्र में प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चट्टानों के ऊपर देवता के पैर व हथेली के निशान विद्यमान हैं, इससे दैवीय शक्तियों के साक्षात प्रमाण मिलते हैं।
 

Ekta