GST को लेकर सोचने पर मजबूर हुई केंद्र सरकार

Sunday, Nov 12, 2017 - 04:40 PM (IST)

बिलासपुर : केंद्र सरकार द्वारा मनमाने ढंग से जी.एस.टी. की दरें बहुत अधिक थोप कर महंगाई को चरम सीमा पर पहुंचा दिया है। एक न्यूज चैनल के जारी बयान में कांग्रेस पार्टी के जिला प्रवक्ता पवन कौशल ने कहा कि यू.पी.ए. सरकार के समय में जी.एस.टी. की दरें न्यूनतम रखी गई थीं, जिसका उस समय विपक्ष में रहते एन.डी.ए. ने काफी हो-हल्ला किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद विपक्ष के विरोध के बावजूद काफी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जी.एस.टी. लगा दी, जिससे वस्तुओं के बहुत अधिक मूल्य बढ़ गए हैं। आम आदमी को इसकी वजह से आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। अब अपने ही फैसले पर पछताना पड़ रहा है और चढ़ रहे महंगाई के पारे के आगे देश की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। इससे केंद्र सरकार के फैसले की परिपक्वता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

जी.एस.टी. का कहर पर सोचने को मजबूर 
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान केंद्र के शीर्ष मंत्रियों का डेरा लगा रहा। उनको भी प्रदेश की जनता के रुख का पता चल गया कि किस प्रकार आमजन में केंद्र सरकार के प्रति आक्रोश भरा हुआ है।  दूसरी ओर गुजरात में होने जा रहे चुनाव भी केंद्र सरकार के गले की फांस बना हुआ है क्योंकि सर्वे की आई रिपोर्टों के अनुसार अभी तक केंद्र को वहां पर मुंह की खानी पड़ेगी। इन सभी दबावों के चलते जी.एस.टी. के कहर के फैसले के ऊपर सोचने को मजबूर कर दिया है और कुछ वस्तुओं पर दरें कम करनी पड़ी हैं। जी.एस.टी. के बोझ के चलते सरलीकरण करने की बजाय इसे बहुत पेचीदा बना दिया गया है, जिससे व्यापारी वर्ग को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। यह केंद्र सरकार की कथनी और करनी की दोहरी नीति को दर्शाती है।