विधेयक में MSP को समाप्त किए जाने का प्रावधान नहीं: शांता कुमार

Wednesday, Sep 23, 2020 - 10:51 AM (IST)

पालमपुर (भृगु): कृषि एवं खाद्य संबंधी विधेयकों के प्रावधानों को लेकर मचे बवाल के मध्य इस विधेयकों की पृष्ठभूमि में भारतीय खाद्य निगम की भूमिका तथा पुर्नसंरचना को लेकर गठित कमेटी की भी भूमिका रही है। पूर्व केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार इस उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में संसद में कृषि विधेयकों के पारित होने के बाद उत्पन्न असमंजस की स्थिति को लेकर शांता कुमार से पंजाब केसरी ने बात की:

नहीं समाप्त किया जा रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य
न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर शांता कुमार ने कहा कि इस सारे बिंदु को लेकर बहुत अधिक कर राजनीति हो रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि विधेयक में एमएसपी यानिकी न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त नहीं किया जा रहा है। इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि देश के 6 प्रतिशत किसान ही सरकार को अपनी उपज बेचते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य का संबंध मात्र इन 6 प्रतिशत किसानों से ही है। इनमें भी बड़े बड़े जमींदार तथा किसान शामिल हैं।

फसल को मंडी में बेचने के बाध्यता समाप्त होगी
शांता कुमार के अनुसार इस विधेयक से मुख्य रूप से किसान को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी की बाध्यता समाप्त होगी। किसान जहां चाहे जिसे चाहे अपनी फसल बेच सकेगा। ऐसे में किसान को जहां अधिक तथा उचित दाम उसके उत्पाद का मिल सकेगें।  किसान अपनी फसल को बेचने के लिए स्वतंत्र होगा। इस विधेयक से सबसे बड़ी हानि मठाधीश बने बिचौलियों को होगी। इन विधेयकों के पारित होने को लेकर जो आंदोलन चलाया जा रहा है उसके पीछे भी ऐसे ही लोग हैं।

किसान अधिक स्वतंत्र होगा
किसान को दायरे में बांधने के स्थान पर कि ये विधेयक किसान को उस दायरे से बाहर निकालेंग जिस में अभी तक किसान जकड़े हुए थे। कृषि क्षेत्र में ओर लोग भी अब आ रहे हैं। ऐसे में यह लोग अपनी आवश्यकता के अनुरूप किसान से फसल का उत्पादन चाहते हैं। इसी के लिए यह लोग किसानों को खास किस्म का बीज उपलब्ध करवाते हैं तथा किसान से एग्रीमेंट कर पहले ही दाम निर्धारित कर उत्पाद प्राप्त करते हैं। इससे किसान की आय भी बढ़ती है तथा किसान को निश्चित आय भी प्राप्त होती है। ऐसे में किसान इस विधेयक के बाद ऐसा कर पाने के लिण् अधिक स्वतत्र होगें।

एमएसपी के साथ निजीकरण भी
निजी करण का अर्थ यह नहीं है कि सरकार किसानों का उत्पाद नहीं खरीदेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य भी रहेगा और उसके साथ निजीकरण भी होगा। किसान जिसे अपना उत्पाद बेचना चाहें बेच सकेंगे। इस पर किसी प्रकार के अंकुश तथा बाध्यता नहीं रहेगी। ऐसे में निजीकरण को लेकर जो बातें कही जा रही हैं वे निरर्थक हैं तथा मात्र भ्रम फैलाने के लिए की जा रही हैं।

 

Jinesh Kumar