Technomac महाघोटाला : अब आबकारी एवं कराधान विभाग दर्ज करेगा FIR

Friday, Mar 09, 2018 - 11:24 PM (IST)

नाहन: सिरमौर के पांवटा ब्लाक स्थित टैक्नोमैक औद्योगिक इकाई में अब तक आंके गए 6 हजार करोड़ के महाघोटाले में आखिरकार सरकार ने 2 साल बाद दरियादिली जताते हुए आबकारी एवं कराधान विभाग को हजारों करोड़ रुपए हड़पने वाले कंपनी के निदेशकों और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की इजाजत दे ही दी जबकि 2 साल पहले विभाग ने मामले की पूरी स्टेटस रिपोर्ट सरकार के हवाले कर दी थी। सरकार की इजाजत मिलने के बाद यह अब तय हो गया है कि टैक्नोमैक कंपनी के निदेशकों के खिलाफ आपराधिक केस चलेगा। आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा मामले में की जा रही जांच से पता चला है कि निदेशकों ने फैक्टरी परिसर के चारों तरफ रहने वाले लोगों से बेनामी जमीने खरीदीं और कंपनी के जरिए करोड़ों रुपए हड़प लिए। 

1 हजार करोड़ से ज्यादा आयकर का लगा चूना
इस महाघोटाले में जहां आबकारी एवं कराधान विभाग के 21.75 करोड़ रुपए टैक्स व पैनल्टी का डूबा है तो लगभग 1 हजार करोड़ से ज्यादा आयकर का भी चूना लगाया गया है। यही नहीं, बैंकों के भी कई हजार करोड़ रुपए डूब गए। सरकार ने 2 साल घोटालेबाजों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की इजाजत देने में लगा दिए। सवाल उठता है कि क्या महज एफ.आई.आर. दर्ज करने के बाद हजारों करोड़ रुपए डकार जाने वाले घोटालेबाज पकड़ में आ जाएंगे। उधर, विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस महाघोटाले की तह तक जाने के लिए घोटालेबाजों को सलाखों के पीछे डालने के लिए मामले की जांच सी.बी.आई. या ई.डी. जैसी राष्ट्रीय एजैंसियों के हवाले करनी चाहिए थी लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हुआ। आबकारी एवं कराधान विभाग, आयकर व बैंकों को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाने वाले सालों से या तो फरार हंै या फिर खुलेआम घूम रहे हंै। 

इक्नोमिक इंटैलिजैंस यूनिट ने 2014 में किया था टैक्स घोटाले का पर्दाफाश
2014 में सरकार ने आबकारी एवं कराधान विभाग में इक्नोमिक इंटैलिजैंस यूनिट का गठन किया। यूनिट में एक ईमानदार जुझारू अफसर जी.डी. ठाकुर को तैनात किया। उन्होंने जब टैक्नोमैक कंपनी में हुए टैक्स घोटाले की रिपोर्ट की तो विभाग और सरकार के बड़े-बड़े आलाधिकारियों के पांव तले जमीन खिसकती नजर आई। आलाधिकारियों को शायद यह मालूम नहीं था कि खुद विभाग का एक ईमानदार अफसर आगे आएगा और टैक्स घोटाले की परतें खोल कर रख देगा। विभाग के सूत्रों अनुसार आलाधिकारियों ने कंपनी में चल रहे टैक्स घोटाले को लेकर आंखें मूंदे रखीं क्योंकि कंपनी के जरिए हजारों करोड़ रुपए हड़पने वाले ऊंची पहुंच वाले थे, जिनकी सरकार में सीधी पहुंच रही थी।

दिल्ली में कंपनी के 500 करोड़ रुपए के फर्जी एम फार्म पकड़े
इतना ही नहीं विभाग ने बाद में जांच के दौरान दिल्ली में जब शिकंजा कसा तो कंपनी के 500 करोड़ रुपए के फर्जी एम फार्म पकड़े गए। पैनल्टी लगाने के लिए इंटैलिजैंस यूनिट ने सरकार को रिवीजन फाइल भेजी लेकिन आलाधिकारियों ने फाइल को पुन: यूनिट को नहीं भेजा और सीधे विभाग के कार्यालय को सौंप दिया। 2100 करोड़ के टैक्स पैनल्टी में मूल्यांकन के बाद 75 करोड़ का और इजाफा हुआ। वैट लागू होने के बाद देश में शायद यह सबसे बड़ा महाघोटाला है। बैंकों के आलाधिकारियों ने भी हजारों करोड़ का कर्जा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके पीछे भी एक बड़ी धांधली नजर आती है। कंपनी के निदेशकों ने कुल 29 यूनिट चलाए थे, जिनके जरिए पैसा बाहर निकाला जा रहा था। यह सब आंकड़े विभाग की रिपोर्ट में शामिल हैं। 

अब बेनामी संपत्तियों की रेड एंट्री
विभाग की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी तो बेनामी संपत्तियों का खुलासा भी होने लगा। राजस्व विभाग की साइट हिम भूमि को खंगालने के बाद कराधान विभाग के अधिकारियों ने पाया कि कंपनी के निदेशकों ने बेहिसाब बेनामी संपत्तियां बनाई। ज्यादातर संपत्तियां परिसर के आसपास खरीदी गईं। हाल ही में कंपनी के एक निदेशक द्वारा 54 बीघा भूमि बेनामी खरीदे जाने का खुलासा होने के बाद विभाग ने भूमि को अटैच कर लिया और राजस्व विभाग में उसकी रेड एंट्री करवा दी। ज्यादातर संपत्ति महज एग्रीमैंट के आधार पर ही खरीदी गई। अन्य बेनामी संपत्तियों पर भी कार्रवाई जारी है। 

फैक्टरी परिसर से चोरी का सिलसिला रहा जारी
कराधान विभाग द्वारा 2014 में टैक्स वसूली को लेकर कंपनी को सील कर दिया गया था लेकिन इसके बाद कंपनी परिसर में लगातार चोरी होती रही। विभाग के अनुसार करोड़ों रुपए की प्लांट एंड मशीनरी, महंगे सोफे, ए.सी. व अन्य साजो-सामान सहित स्क्रेप आदि गायब हो गया।