टैक्नोमैक कंपनी के खुलने लगे राज, 80% बिल फर्जी

Saturday, Mar 24, 2018 - 12:39 PM (IST)

शिमला : राज्य सरकार करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाने वाले इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के राज धीरे-धीरे खुलने लगे हैं। इसी कड़ी में सी.आई.डी. जांच में खुलासा हुआ है कि 2100 करोड़ से अधिक का घोटाला करने वाली कंपनीद्वारा लोन के लिए इस्तेमाल किए गए अस्सी फीसदी बिल की फर्जी थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आबकारी अफसरों ने बिना एंट्री बैरियर डाटा का मिलान किए कैसे फर्जी बिलों के आधार पर टैक्स असैसमैंट कर दिया। यही नहीं, यदि असैसमैंट को सही भी मान लिया जाए तो करोड़ों के माल को तैयार करने के लिए आए कच्चे माल और बेचने के लिए प्रदेश से बाहर ले जाए गए बने हुए उत्पाद की जानकारी विभाग को कैसे नहीं लगी।

एजैंसी को कई अहम सुराग हाथ लगे
सी.आई.डी. अब पूरे मामले में आबकारी अफसरों की भूमिका की जांच में जुट गई है। सूत्रों की मानें तो कंपनी के बोर्ड में शामिल रहे पूर्व आई.ए.एस. के बेटे विनय शर्मा की गिरफ्तारी के बाद जांच एजैंसी को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। 4 दिन के रिमांड के दौरान जांच टीम को शर्मा से कई ऐसी जानकारी मिली है, जिनसे सीधे तौर पर आबकारी अफसरों के खेल का पता चल रहा है। नाम न लिखने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि फर्जी बिल लगाकर बैंक से लोन उठाने पर तो कंपनी के खिलाफ  मामला बनता है लेकिन जब माल आया और गया ही नहीं तो इतना बड़ा टैक्स चोरी का मामला कैसे बन गया यह बड़ा सवाल है। सी.बी.आई. अब जांच में आबकारी अफसरों को सख्ती से शामिल होने को कह चुकी है। ऐसे में यदि अफसरों व कर्मचारियों ने जांच में सहयोग नहीं किया तो और गिरफ्तारी भी संभव है।
 

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