निजी वाहनों में सवारियां ढोने से टैक्सी चालकों को पड़े रोटी के लाले

Wednesday, Nov 14, 2018 - 04:41 PM (IST)

चंबा (डैनियल): चंबा जिला के टैक्सी ऑप्रेटरों को निजी वाहनों से मिल रही प्रतिस्पर्धा से दो जून रोटी के लाले पड़ रहे हैं जिसका मुख्य कारण कई निजी वाहन धारकों द्वारा धड़ल्ले से सस्ते किरायों पर सवारियों को टैक्सी वाहनों की तर्ज पर ढोया जा रहा है। जिसमें जहां सरकार एवं संबंधी विभाग को टैक्स अदायगी न होने का चूना लग रहा है। वहीं बिना टैक्सी परमिट वाहनों में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। मगर सब कुछ जानते हुए भी संबंधी विभाग इस दिशा की ओर गंभीर नहीं दिख रहा है। 

उल्लेखनीय है कि जिला के मुख्यालय सहित भरमौर, लूणा, होली, तीसा, बेघईगढ़, खजियार, डल्हौजी, पांगी व सलूणी में परमिट युक्त टैक्सी वाहनों की संख्या के मुकाबले बिना परमिट वाहनों की संख्या लगभग मौजूदा समय में बराबर हो चुकी है, जिसके चलते परमिट धारक टैक्सी वाहन धारकों को बिना परमिट निजी वाहन धारक टैक्सी व्यवसाय में कांटे की टक्कर दे रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में निजी वाहन धारकों द्वारा बिना परमिट के टैक्सी वाहन चलाने को देखते हुए कई पुराने टैक्सी वाहन धारकों ने भी 4 या 5 वाहनों की संख्या बढ़ने पर 2 वाहनों को नियमों मुताबिक व शेष वाहनों को निजी बना उन्हें टैक्सी के रूप में चलाया जा रहा है। ताकि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर रोड या टैक्सी शुल्क से बचा जा सके। 

पुलिस आर.टी.ओ. व हाईवे पैट्रोलिंग पुलिस से बचने के लिए बिना परमिट वाहन धारक अकसर वाहन में बैठक यात्रियों को अपना रिश्तेदार बता बचने का प्रयास करते हैं, जिसमें अधिकांश बार ऐसे चालक कामयाब भी रहते हैं जिसकी मुख्य वजह यात्रियों द्वारा कुछ रुपयों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी दाव पर लगाना है। मगर विभागीय ढील के चलते तय नियमों का पालन न बिना परमिट वाहन धारक और न ही सवारियां कर रही हैं जोकि शायद यह भूल रहे हैं कि बिना परमिट वाहन में घटना या दुर्घटना घटित होने पर न किसी प्रकार का मुआवजा प्राप्त होगा जबकि निजी वाहन धारक को भी चंद रुपयोंं का यह लालच बड़ी मुश्किल में डाल सकता है जिसकी शायद वाहन धारक व सवारी दोनों को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
 

Ekta