फसल बोनस के रूप में लेना ही जीरो बजट खेती

Monday, Sep 10, 2018 - 05:11 PM (IST)

पधर/सरकाघाट/धर्मपुर: कृषि विभाग पधर के सौजन्य से पंचायत समिति सभागार पधर में जीरो बजट खेती पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें द्रंग खंड की विभिन्न पंचायतों से लगभग 120 किसानों ने भाग लिया। जानकारी देते हुए कृषि विषयवाद विशेषज्ञ डा. के.सी. ठाकुर ने कहा कि जीरो बजट की खेती प्रणाली से चाहे कोई भी खाद्यान, सब्जी या बागवानी की फसल हो, उसका लागत मूल्य जीरो होगा। उन्होंने कहा कि मुख्य फसल का लागत मूल्य अंतरवर्ती मिश्र फसलों के उत्पादन से निकाल लेना और मुख्य फसल बोनस के रूप में लेना ही जीरो बजट खेती कहलाता है। इस दौरान किसानों को शून्य लागत प्राकृतिक खेती पर भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित सुभाष पालेकर के विचारों को भी फिल्म के माध्यम से किसानों को दिखाया गया। 

इस कार्यशाला में राजेंद्र पाल मत्स्य अधिकारी ट्राऊट फार्म बरोट, डा. रोहित कुमार कृषि विकास अधिकार, हरनाम सिंह कृषि प्रसार अधिकारी, पूजा राणा बी.टी.एम. तथा नेहा वर्मा ए.टी.एम. भी उपस्थित रहे।  वहीं कृषि विभाग द्वारा सरकाघाट बचत भवन में रविवार को जीरो बजट खेती पर कार्यशाला का आयोजन कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आतमा) के सौजन्य से किया गया। यह कार्यशाला प्रोजैक्ट डायरैक्टर (आतमा) डा. अरुण सूद की अध्यक्षता में आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि फसलों को बढ़ाने के लिए और उपज लेने के लिए जिन-जिन संसाधनों की आवश्यकता होती है, वे सभी घर में ही उपलब्ध करना तथा जीरो बजट खेती को हानि पहुंचाने वाला कोई भी संसाधन घर में या गांव में निर्मित नहीं करना है।   

इस शिविर में भू-संरक्षण अधिकारी डा. गुलाब सिंह ठाकुर तथा कृषि विकास अधिकारी बलद्वाड़ा डा. कर्म सिंह ने भी किसानों को जीरो बजट खेती बारे जानकारी दी। इस अवसर पर ब्लॉक तकनीकी मैनेजर महेंद्र, देवेंद्र तथा सभी कृषि प्रसार अधिकारी उपस्थित रहे। उधर पंचायत समिति हॉल धर्मपुर में जीरो बजट खेती पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 100 किसानों ने भाग लिया और जीरो बजट खेती के लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस मौके पर कृषि विषयवाद विशेषज्ञ डा. रणजीत वर्मा ने कहा कि किसानों को अपनी पुरानी तकनीक को ही अपनाना चाहिए। वहीं कृषि विषयवाद विशेषज्ञ डा. कुलदीप गुलेरिया ने कहा कि कम लागत से स्थानीय तौर पर उपलब्ध पदार्थों और तकनीकों द्वारा किसान अपने खाद्य उत्पादनों को किसान किस हद तक सुधार सकता है। डा. नेहा शर्मा ए.बी.टी.एम., डा. अजय शर्मा, एस.एम.एस. बागवानी विभाग डा. बलदेव भारद्वाज और ऑब्जर्वर डा. धर्मपाल की देखरेख में कार्यशाला संपन्न की गई। 

Ekta