जागो सरकार! शिक्षा के लिए जान को खतरे में डाल बरसाती नाला पर करे नौनिहाल

Sunday, Aug 11, 2019 - 10:53 PM (IST)

तुनुहट्टी: ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं ये भटियात विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत तुनुहट्टी के गांव सूनागर की है। तस्वीर में दिख रहीं 2 नन्ही छात्राएं बरसाती नाले को पार करने की कोशिश कर रही हैं। उन्हें ऐसा इसलिए करने पर मजबूर होना पड़ा रहा है क्योंकि इस नाले पर कोई पुल नहीं है। अगर जरा भी चूक हो जाए तो इन छात्रों के साथ कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। यहीं नहीं, ऐसे कई बच्चे हैं जो गांव से शिक्षा पाने के लिए इस बरसाती नाले को पार कर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं लेकिन लगता है कि सरकार व प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

आजादी के 7 दशक के बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरसा गांव

बात अगर सूनागर गांव की करें तो इस गांव को आजादी के 7 दशक के बाद भी वे मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं, जिनके लिए यहां के लोगों को अभी तक तरसना पड़ रहा है। इस गांव के आसपास 4 गांव और बसे हुए हैं, जिनकी हाईवे मार्ग से दूरी मात्र 4 से 6 किलोमीटर है लेकिन इन गांववासियों को अभी तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है। इस कमी का खमियाजा यहां के स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। हर दिन जहां उपरोक्त गांवों के बच्चों को यह दूरी पैदल तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है तो साथ ही इस दूरी को गर्मियों व सर्दियों के मौसम में तय करने के चलते भारी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जान हथेली पर रखकर स्कूल पहुंचने को मजबूर बच्चे

बरसात के दिनों में तो इन गांवों के बच्चों को अपनी जान हथेली पर रखकर स्कूल पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इन बच्चो को न सिर्फ 4 से 6 किलोमीटर की दूरी तय करके शिक्षा ग्रहण करके डगोह स्कूल पहुंचना पड़ता है बल्कि रास्ते में आने वाले बरसाती नालों को भी पार करना पड़ता है। सही मायने में शिक्षा ग्रहण करने के लिए इन गांवों के बच्चों को हर दिन अपनी जान को खतरे में डालने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बरसाती नाले को पार करते समय कपड़े पूरी तरह से भीग जाते हैं, जिसके चलते बच्चों को गीले कपड़ों में ही स्कूल पहुंचना पड़ता है।

सरकार व प्रशासन कर रहे बड़ी अनहोनी का इंतजार

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस नाले को पार करते समय कब इस बरसाती नाले का जलस्तर बढ़ जाए और बच्चों की जान पर बन आए, कोई कुछ नहीं कह सकता है। यह सब स्थिति इसलिए पेश आ रही है क्योंकि प्रशासन और पंचायत ने इन नालों पर पुल बनाने की प्रक्रिया को अंजाम देना जरूरी नहीं समझा। लोगों का कहना है कि ऐसा आभास होता है जैसे कि सरकार व प्रशासन को किसी बड़ी अनहोनी के होने का इंतजार है।

क्या कहते हैं क्षेत्र के लोग

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आज तक इस समस्या से निजात नहीं मिल पाई है। 70 सालों में बहुत सरकारें आईं व गईं लेकिन हमारे गांव को न तो सड़क मिल पाई न ही खड्ड पर पुल बनाने का किसी ने आश्वासन दिया है। कई सालों से गांववासी इस समस्या से जूझ रहे हैं, जिससे लोगों को मजबूरन बरसात के मौसम में गांव में आने-जाने के लिए खड्ड के बीच से गुजरने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस समस्या का सबसे ज्यादा खमियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है तो शिक्षा ग्रहण करने के लिए इस नाले को पार कर स्कूल जाते हैं। उन्होंने जब तक गांव के नालों पर पुलियों का निर्माण नहीं होगा, तब तक इस गंभीर स्थिति का सामना करने के लिए लोग मजबूर रहेंगे।

क्या कहती हैं ग्राम पंचायत प्रधान

ग्राम पंचायत तुनुहट्टी की प्रधान नीलम कौर ने कहा कि यह बात पंचायत के ध्यान में है और भटियात विधायक को इस बारे में बताया गया है, जिस पर उन्होंने यह भरोसा दिलाया है कि जैसे ही लोग सड़क निर्माण के लिए प्रयोग में लाई जाने वाले निजी भूमि को विभाग के नाम कर देते हैं तो इन गांवों को सड़क से जोडऩे की दिशा में प्रभावी कदम उठाने के निर्देश संबंधित विभाग को जारी किए जाएंगे।

क्या कहते हैं विधायक

भटियात के विधायक विक्रम जरयाल का कहना है कि यह मामला मेरे ध्यान में आया है और जब तक लैंड ट्रांसफर नहीं होती है तब तक सड़क निर्माण कार्य संभव नहीं है। जहां तक नालों पर पुलियों के निर्माण कार्य की बात है तो इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

Vijay