8 साल बाद भी नहीं सुलझी चोरी की गुत्थी, नेपाल के राजा ने दिया था ये बेशकीमती तोहफा

Sunday, Jul 22, 2018 - 04:15 PM (IST)

शिमला (राक्टा): भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान से चोरी हुए दुर्लभ घंटेकी जांच ठंडे बस्ते में पड़ गई है। देश की सर्वोच्च जांच एजैंसी सी.बी.आई. भी यह मामला नहीं सुलझा पाई। अष्टधातु के  बेशकीमती घंटे को नेपाल के राजा ने वर्ष 1903 में ब्रिटिश वायसराय को भेंट किया था। 21 अप्रैल, 2010 को चोरों ने संस्थान के गेट से इसे चुरा लिया। पुलिस की जांच के बाद हाईकोर्ट के दखल पर इसकी जांच सी.बी.आई. को दी गई थी। सी.बी.आई. ने चोरी का सुराग देने वाले को एक लाख रुपए का ईनाम देने की घोषणा भी की थी। इसके साथ ही जांच के तहत एक सुरक्षा कर्मी का भी पालोग्राफिक टैस्ट भी करवाया है। बेशकीमती घंटे का वजन 30 किलो था और उसे संस्थान के मुख्य द्वार पर लगाया गया था। इस मामले को सुलझाने में भी सी.बी.आई. को भी सफलता हाथ नहीं लगी है। इस मामले में सी.बी.आई. पूर्व में अपनी क्लोजर रिपोर्ट भी अदालत में पेश कर चुकी है, ऐसे में मामले की जांच अब ठंडे बस्ते में चली गई है।


1 अक्तूबर, 2015 को सौंपी थी जांच
8 साल पहले चोरी हुए घंटे को ढूंढने की जिम्मेदारी 1 अक्तूबर, 2015 में हाईकोर्ट ने सी.बी.आई. को सौंपी थी। सी.बी.आई. ने केस को दिल्ली से डील किया। कई मर्तबा टीमें शिमला पहुंचीं और जो लोग शक के दायरे में थे, उन्हें इंटैरोगेट किया। एडवांस्ड स्टडी संस्थान ने पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और इस मामले को सी.बी.आई. को सौंपने की गुहार लगाई थी ताकि ऐतिहासिक घंटे और उसे चुराने वालों के बारे में पता चल सके लेकिन सी.बी.आई. भी मामला नहीं सुलझा पाई।


21 अप्रैल, 2010 की रात चोरी हुआ था घंटा
एडवांस्ड स्टडी संस्थान से ऐतिहासिक एवं दुर्लभ घंटा 21 अप्रैल, 2010 की रात को चोरी हुआ था। 22 अप्रैल को बालूगंज पुलिस थाना में संस्थान की ओर से चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। दुर्लभ धातु से बना घंटा संस्थान के मुख्यद्वार पर छत में लकड़ी की चौखट में लगाया गया था। चोर लकड़ी की चौखट समेत इस घंटे को उठा ले गए थे।


2013 में पुलिस ने तैयार की थी अनट्रेस रिपोर्ट
7 दिसम्बर, 2013 तक चोरी करने वालों का पुलिस सुराग नहीं लगा पाई। उसके बाद पुलिस ने अनट्रेस रिपोर्ट तैयार की और मामले को बंद करने के लिए न्यायिक दंडाधिकारी शिमला के पास आवेदन किया। संस्थान ने इस पर आपत्ति जताई और जांच की मांग की। संस्थान की मांग पर न्यायिक दंडाधिकारी ने पुलिस को जांच के आदेश दिए। पुलिस जांच और क्लोजर रिपोर्ट से असंतुष्ट होते हुए संस्थान ने मामले की जांच सी.बी.आई. से कराने को लेकर याचिका दायर कर दी, जिसके बाद मामला सी.बी.आई. के सपुर्द किया गया।

Vijay