बिलासपुर में राज्य स्तरीय युवा उत्सव शुरू, प्राचीन संस्कृति की दिखेगी झलक

Wednesday, Dec 06, 2017 - 11:01 PM (IST)

बिलासपुर: ऋषि व्यास की तपोभूमि व्यासपुर यानी बिलासपुर इन दिनों प्रदेश के 11 जिलों की लोक संस्कृति का संवाहक बना हुआ है। मौका है बिलासपुर शहर के रौड़ा सैक्टर स्थित बास्केटबाल मैदान में बुधवार को शुरू हुए 3 दिवसीय राज्य स्तरीय युवा उत्सव-2017 का। 15 वर्ष के बाद व्यासपुर की इस धरती पर आयोजित हो रहे इस उत्सव में जहां कुल्लू की देव संस्कृति व किन्नरों का निवास स्थान मानी जाने वाली किन्नौर घाटी की संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है, वहीं काफी हद तक पंजाबी रंग में रंगे ऊना तथा ऋषियों की धरती मानी जाने वाली कहलूर की समृद्ध संस्कृति के दर्शन भी इस युवा उत्सव के दौरान हो रहे हैं।

डी.सी. बिलासपुर ने किया उत्सव का शुभारंभ
प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे इस 34वें राज्य युवा उत्सव का शुभारंभ बतौर मुख्यातिथि पधारे डी.सी. बिलासपुर ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर व प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के उपनिदेशक पद्म सिंह नेगी ने दीप प्रज्वलित कर किया जबकि शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के उपनिदेशक पद्म सिंह नेगी ने की। उपनिदेशक पद्म सिंह नेगी, जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी श्याम कौंडल व जिला युवा समन्वयक रूप सिंह ठाकुर ने मुख्यातिथि को हिमाचली शॉल, स्मृतिचिन्ह व उपहार प्रदान कर उनका अभिनंदन व स्वागत किया। 

छात्र-छात्राओं की प्रस्तुतियों ने मोहा मन
इस अवसर पर सरस्वती विद्या मंदिर रौड़ा स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बेहतरीन प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं सोलन की कलाकारों द्वारा शास्त्रीय संगीत की जुगलबंदी को खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया गया। कुल्लू के कलाकारों ने अपने सामूहिक लोकगीत की प्रस्तुति में ‘ढीली नाटी’ को प्रस्तुत किया, वहीं बिलासपुर जिला के कलाकारों रंजना, शीतल, पल्लवी, मधु, अंजना, अनन्य, सोनल व ज्योति ने अपनी संगीत प्राध्यापिका डा. मीना वर्मा की अगुवाई में बिलासपुरी लोकनृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी।

700 प्रतिभागी ले रहे भाग
इस युवा महोत्सव में प्रदेश के 11 जिलों के करीब 700 प्रतिभागी अपने टीम इंचार्जों सहित भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस युवा उत्सव में एकांकी नाटक, लोकगीत, लोकनृत्य, भारतीय क्लासिक गायन, पारंपरिक वाद्य एवं संगीत, बांसुरी वादन, तबला वादन, हारमोनियम वादन, सितार वादन, कत्थक नृत्य व एलोक्यूशन प्रतियोगिताएं करवाई जा रही हैं। इन प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागी राष्ट्रीय युवा उत्सव में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

युवाओं को अपनी संस्कृति का ज्ञान होना जरूरी : डी.सी.
डी.सी. ने कहा कि लोक संस्कृति को बचाने व संजोए रखने के लिए युवाओं के योगदान के साथ-साथ पौराणिक रीति-रिवाजों व परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी लोक संस्कृति के साथ जुड़े रहें और युवा पीढ़ी को भी साथ जोड़े रखें। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी लोक संस्कृति के साथ-साथ प्रदेश की संस्कृति का ज्ञान होना भी आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जीवन में जिन भी सपनों को संजोएं उन्हें हासिल करने के लिए पूरी लगन से मेहनत करें।