प्रदेश में सेवाएं दे रहे IAS अधिकारियों को ACS बनाने वाली फाइल अटकी

Tuesday, Jul 10, 2018 - 08:54 AM (IST)

शिमला (कुलदीप): प्रदेश में सेवाएं दे रहे 2 आई.ए.एस. अधिकारियों को अतिरिक्त मुख्य सचिव (ए.सी.एस.) बनाने की फाइल अटक गई है। इसके तहत प्रदेश में वर्ष, 1998 बैच के 2 आई.ए.एस. अधिकारियों को ए.सी.एस. बनाने का प्रस्ताव है। यह फाइल इसलिए अटक गई है क्योंकि पहले से ए.सी.एस. पर पदोन्नति पा चुके अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठे हैं। ऐसे में यदि केंद्र सरकार का नया फार्मूला चला तो ए.सी.एस. की संख्या को 3 तक निर्धारित किया जा सकता है जबकि प्रदेश में सेवाएं देने वाले ऐसे अधिकारियों की संख्या इस समय 7 है। इनमें बी.के. अग्रवाल, डा. श्रीकांत बाल्दी, मनीषा नंदा, अनिल खाची, राम सुभग सिंह, तरुण कपूर और निशा सिंह शामिल हैं। 


उल्लेखनीय है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में ये पदोन्नतियां दी गई थीं, जिनको लेकर कैग ने भी सवाल उठाए हैं। यानी पूर्व सरकार की तरफ से की गईं यदि ये नियुक्तियां सही नहीं पाई गईं तो पदोन्नत हो चुके अधिकारियों से रिकवरी हो सकती है। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार से वेकैंसी कन्फर्म न होने पर पदोन्नति से पहले वाले पदों यानी प्रधान सचिव पर काम करना पड़ सकता है। ए.सी.एस. के पदों पर नियुक्तियां देने के समय भी सवाल उठे थे और इसे सरकार पर वित्तीय बोझ भी बताया गया था क्योंकि ए.सी.एस. बनने की स्थिति में अधिकारियों को मुख्य सचिव के बराबर वेतन दिया जाता है। इससे अधिकारी को प्रति माह करीब 25 से 30,000 रुपए का वित्तीय लाभ हो रहा है। 


केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी अधिकारी
हिमाचल प्रदेश कैडर के कई अधिकारी प्रदेश में अभी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें उपमा चौधरी, ए.आर. सिहाग, भारती एस. सिहाग, तरुण श्रीधर, अरविंद मेहता और संजीव गुप्ता शामिल हैं। इन अधिकारियों को भी ए.सी.एस. के बराबर स्केल दिया जाता है।

Ekta