तीन सौ करोड़ लोन लेने की तैयारी में प्रदेश सरकार

Friday, Nov 17, 2017 - 08:08 PM (IST)

शिमला : कर्ज में डूब चुकी हिमाचल सरकार अब गाड़ी को ट्रैक पर दौड़ाने के लिए तीन सौ करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार को चुनाव आयोग से स्वीकृति लेनी होगी। रिजर्व बैंक की औपचारिकताओं को वित्त विभाग 21 नवंबर तक पूरा कर लेगा। सरकार इस साल चौथी बार लोन लेने जा रही है। प्रदेश में विकास कार्यों को गति देने के लिए यह कर्ज लिया जा रहा है। आदर्श आचार संहिता लगे होने के कारण वीरभद्र सरकार को इसके लिए चुनाव आयोग से इजाजत लेनी होगी, अगर चुनाव आयोग स्वीकृति देता है तो ही इसे लिया जा सकता है।

सरकार ने बीते सितम्बर माह में ही 700 करोड़ रुपए का कर्ज उठाया है जिसके चलते गत जुलाई माह से अब तक 2,000 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया गया है। यानि सरकार जुलाई माह में 500 करोड़ रुपए, अगस्त माह में 800 करोड़ रुपए और अब सितम्बर माह में 700 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। सरकार का वित्तीय गणित इसलिए भी गड़बड़ाया है क्योंकि कर्मचारियों व पैंशनरों को 4 फीसदी डी.ए. और आई.आर. देने संबंधी घोषणाएं हाल ही में हुई हैं।

हिमाचल पर अब तक 43 हजार करोड़ रुपए का कर्ज 
बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर अब तक करीब 43 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ गया है। इसका मुख्य कारण सरकार के आय-व्यय में अंतर होना है। अंतर की इस खाई को पाटने के लिए सरकार विभिन्न एजैंसियों के माध्यम से ऋण उठा रही है। इतना ही नहीं राज्य सरकार 3 साल में 7 से 13 फीसदी की दर से फरवरी, 2016 तक 11,044.44 करोड़ रुपए का कर्ज विभिन्न संस्थाओं से ले चुकी है। इसमें से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से 73.27 करोड़ रुपए 11 से 13 फीसदी ब्याज दर पर लिया है। हालांकि वर्ष, 2013-14, वर्ष, 2014-15 व वर्ष, 2015-16 में सरकार ने 4454.83 करोड़ रुपए का कर्ज वापस भी किया है। इस संदर्भ में जब वित्त विभाग के आला अधिकारियों से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कोई भी प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो पाया।

क्या है मौजूदा स्थिति
मौजूदा समय में सरकार ने वित्तीय वर्ष में वेतन पर 9,628 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय आंका है। इसके अलावा पैंशन पर 4,950 करोड़ रुपए व्यय करना है। वेतन और पैंशन की अदायगी के अलावा ब्याज अदायगी पर अनुमानित व्यय 3,500 करोड़ रुपए, ऋणों की वापसी पर 3,150 करोड़ तथा अन्य ऋणों पर 448 करोड़ रुपए अनुमानित है।