करमापा के विदेशी नागरिकता लेने पर खड़े हुए सवाल

Tuesday, Oct 09, 2018 - 02:57 PM (IST)

धर्मशाला (सौरभ सूद): अमरीका में बीते डेढ़ साल से प्रवास कर रहे 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे के कथित रूप से कैरेबियन देश डोमेनिक रिपब्लिक की नागरिकता लेने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। नवम्बर में भारत लौटने की बात कहने वाले करमापा के अचानक एक छोटे से द्वीपीय देश की नागरिकता ग्रहण करने से उनकी भारत वापसी को लेकर संशय और अधिक गहरा गया है। करमापा के दूसरे देश का पासपोर्ट लेने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि करमापा अब विश्व भर में स्वतंत्रता के साथ यात्रा कर सकेंगे लेकिन धर्मशाला के सिद्धबाड़ी मठ में 18 साल से बतौर शरणार्थी रह रहे करमापा का ये कदम केंद्र सरकार के लिए एक झटके से कम नहीं है, जो बीते कुछ महीनों से करमापा से लगातार बातचीत कर उन्हें भारत वापस आने के लिए मना रही थी। 

करमापा के इस कदम से सवाल यह भी उठ रहा है कि भारत की तिब्बत पॉलिसी में करमापा की भारत को कितनी जरूरत है। सुरक्षा एजैंसियों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि करमापा सम्भवत: अपनी शर्तों पर भारत लौटना चाहते हैं। वह सिक्किम के रूमटेक मठ में प्रवेश की अनुमति चाहते हैं। अन्य देश की नागरिकता लेना सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है। क्योंकि वह भारत सरकार के शरणार्थी पहचान पत्र के सहारे पहले से ही बेरोकटोक देश-विदेश में यात्रा करते रहे हैं। यही नहीं, मोदी सरकार तो करमापा को दिल्ली में अपना मठ बनाने के लिए जमीन देने की पेशकश कर चुकी है, जिसे लेकर अभी तक करमापा ने हामी नहीं भरी है। केंद्र सरकार ने करमापा पर लगाए यात्रा प्रतिबंध भी कुछ साल पहले हटा लिए थे और उन्हें सिक्किम के रूमटेक मठ को छोड़ देश में कहीं भी यात्रा की अनुमति दे दी थी। 

रूमटेक मठ की गद्दी को लेकर मामला कोर्ट में है। उधर, करमापा के आधिकारिक कार्यालय ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। करमापा कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि करमापा का नवम्बर के मध्य धर्मशाला लौटने का कार्यक्रम है। 17वें करमापा तिब्बत के करमा काग्यू सेक्ट के अगुवा हैं। भारत और तिब्बत में करमापा के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। केंद्र सरकार करमापा को दलाईलामा के बाद तिब्बत का दूसरा बड़ा धर्मगुरु मानती है और तिब्बत को लेकर चीन के साथ अपने उतार चढ़ाव वाले रिश्तों को लेकर आने वाले समय में करमापा की बड़ी भूमिका मानती है, लेकिन भारत सरकार को झटका देते हुए करमापा का यकायक डोमिनिक नागरिकता लेना यही इंगित कर रहा है कि करमापा अपनी शर्तों पर भारत वापसी पर सरकार के रुख को लेकर आशंका से भरे हैं, ऐसे में भारत सरकार के थिंकटैंक को भी ये विचार करना होगा कि करमापा भारत के लिए कितने जरूरी हैं।

विदेशी पासपोर्ट का यह पड़ेगा प्रभाव
चीन से भागकर 5 जनवरी, 2000 को धर्मशाला पहुंचे करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे को तिब्बती शरणार्थी का दर्जा हासिल है। इस कारण विदेश जाने के लिए करमापा को सरकार से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है। सरकार इसे लेकर उन्हें विशेष यात्रा पत्र जारी करती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डोमिनिक रिपब्लिक की नागरिकता लेने से करमापा को डोमोनीक पासपोर्ट मिल जाएगा, जिसके जरिए वह किसी भी देश की यात्रा कर सकेंगे, चाहे इसके लिए भारत सरकार अनुमति दे या न दे।

Ekta